चिठिया लै जा ऊधो जा के कहियो कन्हैया से
चिठिया लै जा ऊधो जा के कहियो कन्हैया से
चिठ्ठिया लै जा ऊधो,
जा के कहियो कन्हैया से,
बिरहा सहा नहीं जाए।
कैसी है निगोड़ी मेरी हाथ की ये रेखा,
रूठे जो कन्हैया फिर मुड़के न देखा।
कदम के डार पे खिलता नहीं है फूल,
वृंदावन की गलियों में मिलता नहीं है धूल।
चिठ्ठिया लै जा...
कौन चुराए माखन मोरा,
तेरे बिना लगे मोहन जीवन ये कोड़ा।
कौन फोड़ेगा मेरा जल की ये मटकी,
निकसे न तन से प्राण, क्यों ये जान अटकी?
चिठ्ठिया लै जा ऊधो...
ऊधो जा के कहना हम कुछ न कहेंगे,
रूठे जो कन्हैया तो फिर रूठने न देंगे।
झूठ भी कहेगा उसे सच मान लेंगे,
अब न यशोदा से चुगली करेंगे।
चिठ्ठिया लै जा ऊधो...
जा के कहियो कन्हैया से,
बिरहा सहा नहीं जाए।
कैसी है निगोड़ी मेरी हाथ की ये रेखा,
रूठे जो कन्हैया फिर मुड़के न देखा।
कदम के डार पे खिलता नहीं है फूल,
वृंदावन की गलियों में मिलता नहीं है धूल।
चिठ्ठिया लै जा...
कौन चुराए माखन मोरा,
तेरे बिना लगे मोहन जीवन ये कोड़ा।
कौन फोड़ेगा मेरा जल की ये मटकी,
निकसे न तन से प्राण, क्यों ये जान अटकी?
चिठ्ठिया लै जा ऊधो...
ऊधो जा के कहना हम कुछ न कहेंगे,
रूठे जो कन्हैया तो फिर रूठने न देंगे।
झूठ भी कहेगा उसे सच मान लेंगे,
अब न यशोदा से चुगली करेंगे।
चिठ्ठिया लै जा ऊधो...
चिठिया लै जा ऊधो,गोपी और ऊधो प्रसंग भजन by Singer Rupesh Choudhary
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Author - Saroj Jangir
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