श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी

श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी


श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी,
रोक द्वेष, विकार, वासना यहाँ न लेकर आना जी।
श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी।

कल-कल करती यमुना बहती, निर्मल जल की धारा है,
श्याम प्रभु के सुंदर दर्शन, बंसी बजाना अति प्यारा है।
राधा-रमण की व्यथा हर के दुखड़े सभी सुनाना जी,
श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी।

यमुना जल दूषित न करना, कचड़ा फैलाने से डरना,
श्याम प्रभु का घर वृंदावन, ब्रज की मर्यादा रखना।
सेवा कुंज और निधि वन में दिल से शीश झुकाना जी,
श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी।

भक्ति की भूमि वृंदावन यहाँ रसिकों का वासा है,
दासी को दर्शन दो बिहारी, दर्शन का मन प्यासा है।
गोपेश्वर के दर्शन कर के जीवन सफल बनाना जी,
श्री वृंदावन धाम प्रभु का यहाँ संभल कर आना जी।


श्रीृकष्ण की नगरी वृंदावन से कीजिए इस भजन का रसपान...श्री वृंदावन धाम प्रभु का - देवी श्वेताम्बरा जी

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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