चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार लिरिक्स

चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार लिरिक्स

चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार,
तन पे भस्म रमा होक नंदी पे सवार,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार।

उलझे लम्बे काले खोलें ये जटाये,
शिव भोले भंडारी अद्भुद सा रूप बनाये,
पहने बाघंगर और फिर,
त्रिशूल में डमरू लगाए,
पी कर भांग का प्याला,
हैं अखियां अपनी चढ़ाई,
बिस्तर काले नागो का पहने गले में हार,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार।

अलबेल चले बारात,
अनोखे हैं बाराती,
भूतों और प्रेतों की चली,
टोली धूम मचाली,
सजधज के चुड़ैले चली,
चीखती चिल्लाती,
नहीं कमर है फिर भी ये,
कुल्हा अपना मटकाती,
मौसम है सुहाना और,
छाई है अज़ब बहार,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार।

भोले नाथ की बारात आई,
हिमालय के द्वार,
अरे देख के नैना को,
आ गया बुखार,
क्या ऐसे वर खातिर,
गोरा ने हर सोमवार,
पूजा किया और रखा था व्रत कितने ही बार,
हलचल सी मची घर में हुए विनीत नैना,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार।

नारद के कहने पे,
भोले रूप दिखलाया,
खुश हो कर सखियों ने,
फिर मंगलाचार गाया,
वर माला इक दूजे को,
गौरा शिव ने पहनाया,
हुआ ब्याह सफल इनका,
अम्बर से फूल बरसाया,
हुई प्रसन्न देव नगरी,
कुंदन सारा संसार,
चले ब्याह रचाने रे
करके भोला श्रृंगार।


 
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