युग युग तक जग याद करे लिरिक्स Yug Yug Tak Jag Yaad Kare Lyrics
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो,
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो।
जहाँ कहीं हो ताप वहाँ पर,
सावन बन बरसो,
मरुथल मधुबन बने जहाँ पर,
दिन दो चार बसो,
एक बार तुम मिल लो जिससे,
कभी नहीं बिसरो।
पथिकों के गति भ्रमितों के तुम,
बनकर दीप रहो,
सगर सुतों हित बनकर पावन,
सुरसरि धार बहो,
जग उपवन में मलयज की,
शीतलता ले विचरो।
मानव हो तुम मानवता के,
शुचि श्रृंगार बनो,
प्यासों के सागर बन करके,
कर्णाधार बनो,
तप:पूत तपों में तुम,
नव कंचन बन निखरो।
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो,
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो।
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो,
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो।
जहाँ कहीं हो ताप वहाँ पर,
सावन बन बरसो,
मरुथल मधुबन बने जहाँ पर,
दिन दो चार बसो,
एक बार तुम मिल लो जिससे,
कभी नहीं बिसरो।
पथिकों के गति भ्रमितों के तुम,
बनकर दीप रहो,
सगर सुतों हित बनकर पावन,
सुरसरि धार बहो,
जग उपवन में मलयज की,
शीतलता ले विचरो।
मानव हो तुम मानवता के,
शुचि श्रृंगार बनो,
प्यासों के सागर बन करके,
कर्णाधार बनो,
तप:पूत तपों में तुम,
नव कंचन बन निखरो।
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो,
युग युग तक जग याद करे,
तुम ऐसे कर्म करो,
कर्म में ऐसे मर्म भरो।
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