कहां से आया कहां जाओगे लिरिक्स Kaha Se Aaya Kaha Lyrics

कहां से आया कहां जाओगे लिरिक्स Kaha Se Aaya Kaha Lyrics, Kabir Bhajan Prahlad Singh Tipania

 
कहां से आया कहां जाओगे लिरिक्स Kaha Se Aaya Kaha Lyrics

साखी- सब आया एक ही घाट से, उत्तरा एक ही बात।
या बीच में दुविधा पड़ गई, तो हो गए बारह बाट।।
घाटे पानी सब भरे ,औघट भरे ना कोई ।।
औघट घाट कबीर का ,भरे सौ निर्मल होय।।
भजन टेक -
कहां से आया कहां जाओगे , खबर करो अपने तन की ,
कोई सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अंतर खिड़की,
हिंदू मुस्लिम दोनों भुलाने ,खटपट माई रया अटकी ,
जोगी जंगम सेक सेवड़ा,लालच माही रया भटकी,
कहाँ से आया.….
काजी बैठा कुरान बांचे ,जमीन जोर वो करे चटकी ,
हरदम साहब नहीं पहचाना, पकड़ा मुर्गी ले पटकी,
कहाँ से आया...
बाहर बैठा ध्यान लगावे ,भीतर सूरता रही अटकी,
बाहर बंदा भीतर गंदा ,मन मेल मछली गटकी....
कहाँ से आया...
माला मुद्रा तिलक छापा ,तीरथ वरत में रया अटकी,
गावे बजावे लोग रिझावे, खबर नही अपने तन की,
कहाँ से आया,
बिना विवेक से गीता बांचे, चेतन को लगी नहीं चटकी,
कहे कबीर सुनो भाई साधो, आवागमन में रया भटकी...
कहाँ से आया कहाँ जाओगे खबर करो अपने तन की,
कोई सद्गुरु मिले तो भेद बतावे खुल जाए अंतर खिड़की.....
सब आया एक ही घाट से, उत्तरा एक ही बात।
या बीच में दुविधा पड़ गई, तो हो गए बारह बाट।।
घाटे पानी सब भरे ,औघट भरे ना कोई ।।
औघट घाट कबीर का ,भरे सौ निर्मल होय।।


कहां से आया कहां जाओगे || Kahan Se Aaya Kahan Jaaoge || by Prahlad Singh Tipanya 

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