मन लागो मेरे यार फकीरी में लिरिक्स Man Laago Mero Yaar Fakeeri Me Lyrics Kabir Bhajan Kalu Ram Bamaniya

मन लागो मेरे यार फकीरी में लिरिक्स Man Laago Mero Yaar Fakeeri Me Lyrics Kabir Bhajan Kalu Ram Bamaniya


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भजन मीनिंग हिंदी Kabir Bhajan Meaning Hindi : कबीर साहेब का यह सुन्दर भजन जिसमे जीवात्मा को सांसारिक कर्मों से ऊपर उठ कर 'फकीरी' में ध्यान लगाने के सम्बन्ध में प्रेरणा दी गई है। इस कबीर भजन को स्वर दिया है 'कालू राम बामनिया ' जी ने। प्रथम पंक्तियों में कबीर साहेब ने बताया है की व्यक्ति को अपने मन के अनुसार नहीं चलना चाहिए क्योंकि मन किसी विषय पर स्थिर नहीं रहता है। मन पर सवार, मन को नियंत्रण में रखने वाला कोई सैकड़ों में एक साधू होता है। यही मन राम से मिलवाता है और यही मन फजीहत भी करवाता है।
जो सुख राम भजन में है वह अमीरी (विलासिता जीवन) में नहीं है। यद्यपि फ़कीर के हाथ में तुम्बा और सोटा मात्र ही होता है लेकिन समस्त जगत ही उसकी जागीरी होता है। अंत में कबीर साहेब की वाणी है की सब्र और निष्ठा से ही मालिक की प्राप्ति होती है। -सत श्री कबीर साहेब। 

मन के मते ना चालिए, और मन के मते है अनेक,
जो मन पर असवार है, सो साधु कोई एक,
पर मन के हारे हार है, और मन के जीते जीत,
ये मन मिलावे राम से, और मन ही करे फजीत।

मनड़ो लाग्यो मेरे यार फकीरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मनड़ो लागो फकीरी में
जो सुख पावेगा राम भजन में,
अरे वो सुख नहीं अमीरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मन लागो मेरे यार गरीबी में।

हाथ में तुम्बा बगल में सोटा,
चारों दिशा जागिरि में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में,

जो सुख पावेगा राम भजन में,
ए वो सुख ना ही अमीरी में,
भाया वो सुख ना ही अमीरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में,

भला बुरा सब का सुन लीजै,
अरे कर गुजरान गरीबी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में,

प्रेम नगर में रहनी है हमारी,
भली बनी आवे सबुरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
जो सुख पावेगा राम भजन में,
भाया वो सुख नहीं अमीरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मन लागो मेरे यार गरीबी में।

कहे कबीर सुनो भाई साधो,
साहिब मिलेगा सबुरी में,
मालिक मिलेगा सबुरी में,
मन लागो मेरे यार फकीरी में,
मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में,
कबीर भजन शब्दार्थ Kabir Bhajan Word Meaning
मन के मते ना चालिए-मन के मुताबिक़ नहीं चलना चाहिए।
और मन के मते है अनेक-पल पल में मन के मत (सोच) पृथक पृथक होती है, मन अस्थिर होता है, चंचल होता है।
जो मन पर असवार है-जो मन पर सवार (असवार) है, जिसने मन को नियंत्रण में कर लिया है।
सो साधु कोई एक-ऐसा कोई बिरला साधू ही होता है।
ये मन मिलावे राम से-यही मन राम से मिलवाता है।
और मन ही करे फजीत-यही मन फ़जीहत भी करवाता है।
मनड़ो लाग्यो मेरे यार फकीरी में-मेरा मन फकीरी में लग गया है।
जो सुख पावेगा राम भजन में-जो सुख राम नाम सुमिरण में है।
अरे वो सुख नहीं अमीरी में- वह सुख अमीरी में नहीं है।
हाथ में तुम्बा बगल में सोटा-हाथ में तुम्बा (एक छोटा लकड़ी से बना पात्र जिसमे साधू/फ़कीर अपने खाने पीने की वस्तुएं रखते हैं।
चारों दिशा जागिरि में-समस्त संसार (संसार की चारों दिशाएं ) उसकी जागीर बन जाती हैं।
मनड़ो- मन (चित्त)
भला बुरा सब का सुन लीजै-अच्छा और बुरा सभी का सुन लेना चाहिए।
अरे कर गुजरान गरीबी में- गरीबी में गुज़ारा करना चाहिए।
प्रेम नगर में रहनी है हमारी-हम (जीवात्मा) तो प्रेम (भक्ति) की नगरी में रहते हैं।
भली बनी आवे सबुरी में-भली और बुरी सभी सब्र में आते हैं।
कहे कबीर सुनो भाई साधो-कबीर साहेब कहते हैं की।
साहिब मिलेगा सबुरी में-साहिब (ईश्वर) तो सब्र (संतोष / सहजता ) से प्राप्त होगा।  
कालूराम बामनिया ने नोपासर गांव में राजस्थान कबीर यात्रा के अंतर्गत इस भजन को गाया है। इस भजन के दर्शकों के रूप में स्थानीय गाँव की महिलाएं हैं। कालूराम बामनिया जी भारत में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में कबीर, गोरखनाथ, बन्ना नाथ और मीरा बाई जैसे साधु/संतों की वाणियों को गाते हैं। इनके गायन की प्रमुख भाषा मालवा अंचल की मिश्रित भाषा है। कालूराम जी बामनिया जी के द्वारा गाये गए कबीर भजनों को प्रमुखता से सुना जाता है। 


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