दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना

दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।
दया करना, हमारी आत्मा को,
शुद्धता देना।।

हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु, आँखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल में आकर के,
परम ज्योति जगा देना।।

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।।

बहा दो प्रेम की गंगा,
दिलों में प्रेम का सागर।
हमें आपस में मिलजुलकर,
प्रभु, रहना सिखा देना।।

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।।

हमारा धर्म हो सेवा,
हमारा कर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा,
हो सेवकचर बना देना,
सफल जीवन बना देना।।

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।।

वतन के वास्ते जीना,
वतन के वास्ते मरना,
वतन पर जा फ़िदा करना,
प्रभु, हमको सिखा देना।।

दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।

दया करना, हमारी आत्मा को,
शुद्धता देना।
दया कर, दान भक्ति का,
हमें परमात्मा देना।।


भजन : दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना II आर्य समाज वैदिक भजन II

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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