साधो भाई भक्ति प्रेम रंग पाका भजन

साधो भाई भक्ति प्रेम रंग पाका भजन

साधो भाई, भक्ति प्रेम रंग पाका,
कूड़ा कपटी के समझ न आवे, 
अगम निगम की साका।।

दुर्योधन का मेवा त्यागा, 
भोजन विधुर घरां का,
पांडव के यज्ञ में झगड़ा भारी, 
अंत किया शिशुपाल का।।

सूखा चावल सुदामा का खाया, 
भर भर मुठी लपाका,
राधा रुक्मण दौड़ी आई, 
जतरे खा गया दो फाका।।

कबीर के घर बालद लाया, 
खांड, खोपरा, दाखां,
श्रीकृष्ण आया, संत जिमाया, 
कबीर गुण गावे ज्यांका।।

रघुराई आया, झूठा फल खाया, 
नवादा भक्ति मुख भाका,
छुआछूत कर पंडित रोया, 
बात शबरी की राका।।

प्रेमा भक्ति मीरा की देखो, 
नाग गले में नाका,
कपटी राणा ने हार मनाई, 
नूर गल गया गणा का।।

प्रेमा भक्ति गोपियां की देखो, 
रास रचाया वृंदावन का,
उद्धव आया गोपियां को समझाया, 
ज्ञान उद्धव का थाका।।

गोकुल स्वामी अंतर्यामी, 
माथे हाथ धणिया का,
लादूदास दासां के दासा, 
सेवक गुरु चरणा का।।


भक्ति प्रेम रंग पाका//bhakti prem rang paka सिंगर - चम्पा लाल प्रजापति मालासेरी डूँगरी

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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