आप सवारथ मेदनी भगत सवारथ दास हिंदी मीनिंग
आप सवारथ मेदनी, भगत सवारथ दास,
कबीरा राम सवारथी, जिनि छाडी तनकी आस ||
or
आप स्वार्थी मेदनी, भक्ति स्वार्थी दास
कबिरा नाम स्वार्थी, डारी तन की आस।
Aap Swarthi Medani, Bhagat Swarath Das,
Kabira Ram Swarthi Jini Chhadi Tanki Aas
कबीर के दोहे के शब्दार्थ
मेदनी, मेदिनी= संसार, जगत
भगत सवारथ : भक्त को स्वार्थ है.
दास : भक्ति का .
कबीरा राम सवारथी : कबीर साहेब राम नाम के स्वार्थी हैं.
जिनि छाडी तनकी आस : जिन्होंने अपने तन की आस को भी छोड़ दिया है.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब का कथन है की सम्पूर्ण जगत (प्रथ्वी) ही स्वार्थ पर टिकी हुई है. समस्त जीव जंतु स्वार्थ के बंधन में बंधे हुए हैं। भक्त को इश्वर प्राप्ति का स्वार्थ है। कबीर साहेब को हरी नाम सुमिरन का स्वार्थ है और उन्होंने इस स्वार्थ के लिए अपने तन की परवाह भी छोड़ दी है। अतः कबीर साहेब का कथन है की सम्पूर्ण संसार/जगत स्वार्थ से परिपूर्ण है, कोई भी स्वार्थ से अछूता नहीं है. कबीर साहेब की भाँती इश्वर प्राप्ति का स्वार्थ रखना ही श्रेष्ठ है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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