अब तो जूझै ही बनै मुड़ी चलै घर दूर हिंदी मीनिंग
अब तो जूझै ही बनै, मुड़ी चलै घर दूर
सिर साहिब को सौपते, सोच ना किजै सूर।
Aub To Jhure Hi Bane, Mudi Chale Ghar Door,
Sir Sahib Ko Sounpte, Soch Na Kije Shoor.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ
संतजन साधना के लिए कबीर साहेब की वाणी देते हैं की अब तो झुझना, संघर्ष करना ही उचित है। मुड़कर घर जाने में कथन है की घर बहुत दूर है। एक शूरवीर अपने स्वामी को सीश/मस्तक सौंपने में समय नहीं लगात है। आशय है की व्यक्ति को साधना मार्ग पर डटे रहना चाहिए जैसे की शूरवीर अपने युद्ध क्षेत्र में डटा रहता है।
इस दोहे का अर्थ है कि अब तो प्रभु प्राप्ति के युद्ध में जूझना ही उचित होगा, अब मुंह मोडकर इससे विरक्ति नहीं की जा सकती है. वापस मुड़ कर जाने में कोई लाभ नहीं है क्योंकि घर तो बहुत दूर है. अब तुम अपना सब कुछ इश्वर के हवाले कर दो, इसमें जरा भी देर ना लगाओं.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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