जहाँ आपा तहाँ आपदां जहाँ संशय तहाँ रोग हिंदी मीनिंग Jaha Aapa Taha Aapada Meaning
जहाँ आपा तहाँ आपदां, जहाँ संशय तहाँ रोग।कह कबीर यह क्यों मिटे, चारों दीर्घ रोग ॥
और
जहाँ आपा तहं आपदा, जहाँ संसै तहां सोग
कहैं कबीर कैसे मिटै, चारों दीरघ रोग
कहैं कबीर कैसे मिटै, चारों दीरघ रोग
Jaha Aapa Taha Aapada, Jaha Sanshay Taha Rog,
Kah Kabir Yah Koy Mite, Charon Dheeraj Rog.
कबीर के दोहे के शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning in Hindi
- जहाँ : जिस स्थान पर.
- आपा : अपने होने का भाव, घमंड।
- तहाँ : वहां।
- आपदां : संकट, व्यवधान।
- जहाँ संशय : जिस स्थान पर शक है, दो राय हैं.
- तहाँ रोग : वहाँ रोग हैं।
- कह कबीर : कबीर साहेब कहते हैं की।
- यह क्यों मिटे : ये कैसे मिट सकते हैं / नहीं मिट सकते हैं.
- चारों चार तरह के रोग।
- दीर्घ:विकट, विशाल।
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
संत शिरोमणि कबीरदास जी की वाणी है कि जब भी मनुष्य में अहंकार आता है वहाँ पर तमाम तरह की विपत्ति आती है। मैंने यह किया, मैं ही हूँ, आदि में "मैं" प्रधान है, यह मैं ही संकट का कारण हैं।
जहाँ सत्य और अज्ञान के कारण संशय आता है वहाँ निराशा और शोक स्वतः ही आ जाते हैं। ऐसे में चार महारोग अहंकार, संकट, संशय और शोक मिट नहीं सकते, ये अत्यंत ही दीर्घ हैं।
कबीर साहेब की वाणी है की जहाँ पर व्यक्ति को अहम् होता है घमंड होता है वहां पर तमाम तरह की विपत्ति और आपदा आती है। जहाँ पर संशय है वहां पर ही तमाम तरह के रोग / विकार आते हैं। समस्त रोग दोष तभी दूर हो सकते हैं जब संतजन के सानिध्य में मानवीय गुण आते हैं।
कबीरदास जी के दोहे "जहाँ आपा तहं आपदा, जहाँ संसै तहां सोग" में उन्होंने अहंकार, संशय, शोक और संकट को चार दीर्घ रोग बताया है. वे कहते हैं कि इन रोगों से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है, और वह है धीरज. जब मनुष्य धैर्य रखता है तो वह अहंकार और संशय को दूर कर सकता है. धीरज से मनुष्य को आपत्तियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और निराशा और चिंता दूर होती है.
कबीरदास जी के दोहे "जहाँ आपा तहं आपदा, जहाँ संसै तहां सोग" में उन्होंने अहंकार, संशय, शोक और संकट को चार दीर्घ रोग बताया है. वे कहते हैं कि इन रोगों से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है, और वह है धीरज. जब मनुष्य धैर्य रखता है तो वह अहंकार और संशय को दूर कर सकता है. धीरज से मनुष्य को आपत्तियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और निराशा और चिंता दूर होती है.
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