चारि अठारह नाव पढ़ि पढ़ी खोया मूल मीनिंग Chari Atharah Nav Padhi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
चारि अठारह नाव पढ़ि पढ़ी खोया मूल
कबीर मूल जाने बिना,ज्यों पंछी चंदूल।
Chari Atharah Nav Padhi Pdhai Khoya Mool,
Kabir Mool Jane Bina Jyo Panchhi Chandul
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की भले ही चार वेद अठारह पुरान,नौ व्याकरण और छह धर्म शास्त्र को पढ़ लो, कंठस्थ कर लो लेकिन यदि तत्व के मूल का ज्ञान नहीं है तो चन्दुल पक्षी की तरह मीठा बोल सकते हो, इससे कोई लाभ नहीं होने वाला है। अतः साधक को चाहिये की वह किताबी ज्ञान के स्थान पर ज्ञान को अपने व्यवहार में उतारकर उसके मूल तक पंहुचे.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |