नाग पंचमी कब है? जानें सही तारीख, मुहूर्त Nag Panchami 2023 Date Shubh Mhurt
नाग पंचमी 2023: श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार बड़े ही शृद्धा भाव से मनाया जाता है और नाग देवता की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म की पवित्र मान्यताओं के अनुसार, इस पावन दिवस पर नागों की पूजा का विधान है, जिससे भगवान् शिव और नागदेवता की कृपा प्राप्त होती है. नाग पंचमी पर भगवान शिव के गले में आभूषण के रूप में स्थापित नाग देवता की पूजा का विधान है.
नाग पंचमी पर पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, अतः आपको भी इस पावन दिवस पर नाग देवता की पुजा करनी चाहिए. नाग पंचमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण है। यह त्योहार भारत, नेपाल, और उन दक्षिण एशियाई देशों में जहाँ हिंदू आबादी बसी है, में धूमधाम से मनाया जाता है। नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है, और इस बार यह 21 अगस्त 2023 को आ रही है। नाग पंचमी के दिन देशभर में विशेष आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। सावन मास में दो बार नागपंचमी तिथियाँ आती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। कृष्ण पक्ष में आने वाली नागपंचमी केवल राजस्थान, बिहार, और झारखंड राज्यों में ही मनाई जाएगी।'
कब है नाग पंचमी? (Nag Panchami 2023 Date and Time)
इस वर्ष सावन शुक्ल पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 22 अगस्त 2023 को दोपहर 2 बजे होगा. ऐसे में नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा.हिन्दू धर्म में सदियों से नागों को पूजने की परंपरा चली आ रही है, नाग देवता को भगवान् शिव से भी जोड़ा जाता है क्योंकि शिव का आभुषण नाग देवता ही हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है.
नागपंचमी के दो प्रमुख तिथियाँ इस प्रकार हैं:
कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि: 7 जुलाई
आरंभ मुहूर्त: सुबह 3:13 मिनट
समाप्ति मुहूर्त: 7 जुलाई, मध्यरात्रि 12:18 मिनट
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि: 21 अगस्त
पंचमी आरंभ मुहूर्त: 20 अगस्त, रात 12:23 मिनट
पंचमी समाप्ति मुहूर्त: 21 अगस्त, रात 2:01 मिनट
इन तिथियों में नागपंचमी का उपयुक्त मुहूर्त मनाने के लिए आप निम्नलिखित समय का पालन करें।
कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि: 7 जुलाई
आरंभ मुहूर्त: सुबह 3:13 मिनट
समाप्ति मुहूर्त: 7 जुलाई, मध्यरात्रि 12:18 मिनट
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि: 21 अगस्त
पंचमी आरंभ मुहूर्त: 20 अगस्त, रात 12:23 मिनट
पंचमी समाप्ति मुहूर्त: 21 अगस्त, रात 2:01 मिनट
इन तिथियों में नागपंचमी का उपयुक्त मुहूर्त मनाने के लिए आप निम्नलिखित समय का पालन करें।
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नागपंचमी का महत्व Importance of Nagpanchmi
नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा अर्चना पूर्ण शृद्धा से की जाती है, और नाग देवता के के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है जिनेम वासुकि, अनंत, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, और शंख आदि प्रमुख हैं। नागों की पूजा से भक्तों को नाग देवता के आशीर्वाद, सुरक्षा, और सौभाग्य प्राप्त होती है।
नागपंचमी के दिन व्रत रखने की परंपरा भी है। इसके तहत चतुर्थी तिथि को एक समय भोजन करना चाहिए और अगले दिन पंचमी तिथि के दिन व्रत का पालन करना चाहिए। व्रत समापन के बाद पंचमी को रात्रि में भोजन किया जा सकता है। यह व्रत अधिकांशत: नागपंचमी की पूजा के तहत किया जाता है।
नागपंचमी के दिन पूजा की शुरुआत में पहले एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बनाई जाती है। इसके बाद प्रतिमा पर हल्दी, सिंदूर, चावल, और फूल चढ़ाए जाते हैं। फिर कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर इसे नाग देवता की प्रतिमा पर अभिषेक किया जाता है। इसके बाद पूजा समाप्त होने के बाद नाग देवता की कथा का पाठ किया जाता है और आरती की जाती है। इस खास मौके पर दान करने की भी परंपरा है। जैसे कि गरीबों को आहार या वस्त्रादि की प्रदान करना।
भारत के प्राचीन महाकाव्यों में से एक, महाभारत में उल्लेख मिलता है की राजा जनमेजय नागों की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ आयोजित करते हैं। इस यज्ञ का उद्देश्य था उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का प्रतिशोध लेना, जिन्होंने एक तक्षक सांप के विष का शिकार बन गए थे। परंतु, इस यज्ञ के दौरान प्रसिद्ध ऋषि आस्तिक ने यह सोचा की इस यज्ञ बंद करना चाहिए और नागों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए वे निकल पड़े थे। उन्होंने यज्ञ के रुकवाने के लिए कई अथक प्रयत्न किए और नाग पंचमी के दिन नागों के बलिदान को बचाने के लिए प्रयत्न किया।
नाग पंचमी के दिन की महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन नागों के बलिदान ने मानवता को स्थापित किया और इसके अलावा, यह त्योहार धार्मिक ग्रंथों और महाकाव्यों में भी महत्त्व रखता है। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां नाग देवता से सम्बंधित हैं।
महाभारत में भगवान कृष्ण और नाग कालिया की कहानी भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने यमुना नदी पर कालिया सांप के साथ एक युद्ध किया। इस युद्ध के बाद, भगवान कृष्ण ने कालिया सांप को माफ कर दिया और उसका वचन दिया कि वह किसी को कष्ट नहीं देगा।
गरुड़ पुराण के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह त्योहार मानवता और प्राकृतिक जीवों के प्रति समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है और नागों के साथ एक समर्पित संबंध को प्रकट करता है।
नाग पंचमी के दिन की महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन नागों के बलिदान ने मानवता को स्थापित किया और इसके अलावा, यह त्योहार धार्मिक ग्रंथों और महाकाव्यों में भी महत्त्व रखता है। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां नाग देवता से सम्बंधित हैं।
महाभारत में भगवान कृष्ण और नाग कालिया की कहानी भी है, जिसमें भगवान कृष्ण ने यमुना नदी पर कालिया सांप के साथ एक युद्ध किया। इस युद्ध के बाद, भगवान कृष्ण ने कालिया सांप को माफ कर दिया और उसका वचन दिया कि वह किसी को कष्ट नहीं देगा।
गरुड़ पुराण के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह त्योहार मानवता और प्राकृतिक जीवों के प्रति समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है और नागों के साथ एक समर्पित संबंध को प्रकट करता है।
नाग पंचमी की पूजा विधि (Nag Panchami 2023 Puja Vidhi)
नाग पंचमी के दिन सवेरे जल्दी उठकर स्नानादि के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें. एक थाली में हल्दी, रोली, चावल, फूल, दीपक और दूध रख लें. फिर मंदिर जाकर ये सभी चीजें नाग देवता को अर्पित करें. ध्यान रहे नाग देवता को कच्चे दूध में घी चीनी मिलाकर ही अर्पित करना शुभ रहता है. इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें. नाग पंचमी की कथा का श्रवण अवश्य ही करना चाहिए. आखिर में नाग देवता से अपनी इच्छाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें. नागपंचमी के दिन व्रत रखने की परंपरा होती है। चतुर्थी तिथि के दिन एक समय भोजन करना चाहिए और अगले दिन पंचमी तिथि के दिन व्रत आरंभ करना चाहिए। व्रत समापन के बाद पंचमी को रात्रि में भोजन किया जा सकता है। यह व्रत साधारणत: नागपंचमी के त्योहार के प्रतिक में किया जाता है और उसका पालन किया जाता है।नागपंचमी के दिन पूजा के लिए पहले एक लकड़ी की चौकी रखें और उस पर मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बनाएं। इसके बाद नाग देवता की प्रतिमा पर हल्दी, सिंदूर, चावल, और फूल चढ़ाएं। उसके बाद कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता का अभिषेक करें। पूजा की समापना के बाद नाग देवता की कथा का पाठ करें और आरती करें। इसके साथ ही नागपंचमी के दिन किसी गरीब को दान देने की परंपरा भी होती है।