कबीर आपण राम कहि हिंदी मीनिंग Kabir Aapan Raam Kahi Hindi Meaning Kabir Ke Dohe

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कबीर आपण राम कहि, औरां राम कहाइ।
जिहि मुखि राम न ऊचरे, तिहि मुख फेरि कहाइ।

Kabir Aapan Raam kahi, Aura Raam Kahaai,
Jihi Mukhi Raam Na Uchare, Tihi Mukh Pheri Kahaai.
 
कबीर आपण राम कहि हिंदी मीनिंग Kabir Aapan Raam Kahi Hindi Meaning Kabir Ke Dohe
 

कबीर के दोहे के हिंदी शब्दार्थ Word meaning of Kabir Doha

आपण-स्वंय/अपने।
राम कहि-राम के नाम का उच्चारण करो।
औरां राम कहाइ-दूसरों के मुख से भी राम कहलाओं।
जिहि मुखि-जिस मुख से।
राम न ऊचरे-राम के नाम का उच्चारण नहीं होता है।
तिहि- उसके।
मुख- मुँह।
फेरि- फिर से, पुनः।
कहाइ-कहलाओं। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग : कबीर साहेब इस दोहे में सुमिरण के नाम का महत्त्व समझाते हुए कहते हैं की स्वंय राम के नाम का उच्चारण करो और दूसरों को भी राम के नाम के लिए प्रेरित करो। यदि दूसरे व्यक्ति राम का नाम नहीं ले रहें हैं तो उन्हें पुनः राम का नाम लेने के लिए प्रेरित करो। 
 
उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने कहीं भी मूर्तिपूजा, कर्मकांड और धार्मिक क्रियाओं का समर्थन नहीं किया है। साहेब ने एक नाम सुमिरण को ही आधार बनाया है और सभी क्रियाओं को छोड़कर हरी सुमिरण को प्रमुख घोषित किया है। व्यक्ति कहीं पर भी रहे, यथा घर में, जंगल में, भीड़ में या एकांत में उसे बस सच्चे हृदय से हरी के नाम का सुमिरण करते रहना चाहिए। हरी का नाम जब हृदय में रहेगा तो यह नहीं हो

सकता की जीवात्मा बुरे कर्मों की ओर अग्रसर हो। कबीर साहेब की इस साखी में 'राम नाम' के माहात्म्य का बोध होता है। समस्त धार्मिक क्रियाएं एक तरफ हैं और ईश्वर के नाम का सुमिरण एक तरफ। बस एक इसे साधने से समस्त क्रियाएं स्वतः ही पूर्ण हो जाती हैं। साहेब कहते हैं की एक राम का नाम ही आधार है बाकी सभी अपार दुःख हैं। महत्पूर्ण है की साहेब कहते हैं की यदि कोई राम के नाम का सुमिरण नहीं करता है तो प्रयत्नपूर्वक उसे राम कहने के लिए प्रेरित करो। 

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