परमा एकादशी शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और पारण का समय Parama Dekadashi Subh Muhurt

परमा एकादशी शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और पारण का समय Parama Dekadashi Subh Muhurt

परमा एकादशी 2023: परमा एकादशी एक विशेष तिथि है जो मलमास (अधिकमास) के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस वर्ष, परमा एकादशी का आयोजन 12 अगस्त को हो रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अत्यधिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। यह एकादशी व्रती को दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति करने का अवसर प्रदान करती है और इसके कारण "परमा" नाम से प्रसिद्ध है।
 



परमा एकादशी 2023: परमा एकादशी को अधिकमास (मलमास) के कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में मनाया जाता है, और इसे "पुरुषोत्तमी" या "कमला एकादशी" भी कहा जाता है। इस बार, परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त को आयोजित हो रहा है। परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत विशेष रूप से मलमास के आखिरी दिन का विशेष महत्व रखता है। हिन्दू परंपराओं के अनुसार, परमा एकादशी के दिन व्रती को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन सोना, ज्ञान, अनाज, भूमि, और गाय का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
 
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परमा एकादशी के शुभ मुहूर्त (Parama Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)

हिन्दू पंचांग के अनुसार, परमा एकादशी अधिकमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। एकादशी तिथि 11 अगस्त को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरू हो गई है और यह समाप्त 12 अगस्त को सुबह 6 बजकर 31 मिनट को होगी। परमा एकादशी का पारण 13 अगस्त को होगा, जिसका समय सुबह 5 बजकर 49 मिनट से लेकर 8 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
 

परमा एकादशी पूजन विधि (Parama Ekadashi Pujan Vidhi)

परमा एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण है। इसके दिन स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करें। उसके बाद निर्जला (बिना पानी पीने का) व्रत का संकल्प लें और भगवत् गीता के अध्याय का पाठ करें। रात के चारों पहर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। प्रथम पहर में नारियल, दूसरे पहर में बेल, तीसरे पहर में सीताफल, और चौथे पहर में नारंगी और सुपारी का आहुति दें। द्वादशी के दिन, सुबह भगवान की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।

परमा एकादशी उपाय (Parama Ekadashi upay)

  • आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके प्रसाद में तुलसी के पत्ते डालें।
  • घर में सुख और शांति के लिए परमा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करें और उसमें देशी घी का दीपक जलाएं।
  • दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए परमा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर लाल चुन्नी चढ़ाएं।
  • परमा एकादशी के दिन "ऊं नमो वासुदेवाय" मंत्र का जाप करने से आनंद, शांति और समृद्धि मिलती है।
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परमा एकादशी कथा

प्राचीन काल में काम्पिल्य नगर में एक ब्राह्मण नामक सुमेधा निवास करते थे, जिनकी पत्नी का नाम पवित्रा था। वे धन्य, साध्वी और परम आत्मा थे, जो अपने जीवन को दरिद्रता और निर्धनता के बावजूद धार्मिकता में बिता रहे थे और अतिथि सत्कार में निरंतर रहते थे। एक दिन, जब उनका मन गरीबी के कारण दुखित हो रहा था, तो सुमेधा की पत्नी ने उन्हें समझाया कि "भगवान की प्राप्ति और संतान पूर्वजन्म के अच्छे कर्मों के फलस्वरूप मिलते हैं, इसलिए आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।"

एक दिन, महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। सुमेधा और पवित्रा ने उनका सत्कार किया और उनके उपदेश को गम्भीरता से सुना। महर्षि ने उनकी परिस्थिति को देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत अवश्य करने की सलाह दी। सुमेधा ने महर्षि के उपदेश का सम्मान किया और व्रत का संकल्प लिया।

व्रत के दिन, सुमेधा और पवित्रा ने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ व्रत आचरण किया। उन्होंने व्रत के पालन में आत्मसमर्पण दिखाया और रात्रि जागरण भी किया। महर्षि के उपदेश के अनुसार, उन्होंने भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट किया और उन्होंने धन्यवाद भी अर्पित किया।

जब महर्षि कौडिन्य चले गए, तो सुमेधा और पवित्रा के जीवन में बदलाव आया। प्रातःकाल, एक राजकुमार उनके पास पहुँचा और उन्हें सर्व साधनाएँ, सुख, समृद्धि और एक आदर्श आवास प्रदान किया। उनके सभी दुःख-दर्द दूर हो गए और वे खुशहाल जीवन जीने लगे।
 
परमा एकादशी, जिसे अधिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में जाना जाता है, एक विशेष महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन, भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना और पूजा का विशेष महत्व होता है। यह व्रत विशेष रूप से तीन साल में एक बार अधिक मास में आने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत के माध्यम से श्रद्धालु भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करते हैं। इस साल, परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त को शनिवार को जाएगा।

एकादशी तिथि मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।

विष्णु मंत्र

मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥

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