सुख में सुमिरन ना किया दु:ख में किया याद मीनिंग अर्थ Sukh Me Sumiran Na Kiya Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
सुख में सुमिरन ना किया, दु:ख में किया याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद॥
या
सुख में सुमिरन न किया, बस दुःख में किया जो याद,
कहत कबीर ता दास की, कौन सुने फ़रियाद।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद॥
या
सुख में सुमिरन न किया, बस दुःख में किया जो याद,
कहत कबीर ता दास की, कौन सुने फ़रियाद।
Sukh Me Sumiran Na Kiya, Dukh Me Kiya Yaad,
Kah Kabir Taa Das Ki, Koun Sune Fariyad.
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning
सुख में : जब जीवन में कोई बाधा ना हो, जीवन का अच्छा समय।
सुमिरन : हरी के नाम का सुमिरण, ईश्वर को याद करना।
ना किया : नहीं किया (ईश्वर को याद नहीं किया )
दु:ख में किया याद : दुःख/प्रतिकूल समय में ईश्वर को याद किया।
कह : कहते हैं।
कबीर : कबीर साहेब।
ता : उसकी।
दास की : सेवक की।
कौन सुने : कौन सुनेगा।
फरियाद : विनती।
हिंदी अर्थ/ भावार्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि जब आदमी सुखमय दिनों में आनंदित होता है, तो वह भगवान की याद नहीं करता, इश्वर को भूल जाता है। लेकिन जब दुख आता है, विपरीत समय आता है, तो वह भगवान को याद करता है, उनकी आराधना करने के लिए दौड़ता है। कबीर दास जी इस दोहे में यह संदेश देते हैं कि हमें सुख-दुख के समय में भगवान के नाम का समान रूप से सुमिरन करना चाहिए, न कि सिर्फ दुख के समय में ही हरी के नाम का सुमिरन करें। भगवान के प्रति अपनी सारी भावनाओं को सुख और दुख के समय दोनों ही अवस्था में याद करने से इश्वर की प्राप्ति संभव हो पाती है.
हमें हर समय अपने मालिक के नाम का सुमिरन करना चाहिए और उनके अनुसार ही जीवन की राह का चयन करना चाहिए। हम सुख के समय इश्वर को भूल जाते हैं और दुख की अवस्था में ही इश्वर को याद करते हैं। कबीर साहेब कहते हैं की ऐसे साधक की फ़रियाद/विनती को कौन सुनेगा जो केवल दुख की स्थिति में हरी को याद करता है। अतः हमें सम भाव से हरी का सुमिरन करना चाहिए।