सूरा सोई जानिये पांव ना पीछे पेख हिंदी मीनिंग Sura Soi Janiye Paanv Na Pichhe Meaning : Kabir Ke Dohe
सूरा सोई जानिये, पांव ना पीछे पेख,
आगे चलि पीछा फिरै, ताका मुख नहि देख।
Sura Soi Janiye Paanv Na Pichhe Pekh,
Aage Chali Pichha Phire, Taka Mukh Nahi Dekh
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की शूरवीर, वीर उसे जानिये जो किसी भी स्थिति में अपने पाँव पीछे नहीं रखता है। जो एक बार किसी कार्य के लिए रवाना हो जाए तो पीछे मुड़कर नहीं देखता है। आशय है की साहेब सती, सूरमा और साधू सभी अपने कर्तव्य पर दृढ होते हैं। वे कभी भी अपने वचनों से पलटते नहीं हैं। कबीर साहेब ने साधना और भक्ति की तुलना शूरवीर से की है. जैसे शूरवीर यदि एक बार युद्ध के लिए प्रस्थान कर देता है तो वह अपने पाँव कभी भी पीछे नहीं हटाता है, यदि वह आगे चल पड़ता है तो पीछे मुडकर नहीं देखता है. ऐसे ही सच्चा संत वही है जो भक्ति मार्ग का अनुसरण करने के पश्चात पुनः फिर कभी सांसारिक क्रियाओं में लिप्त नहीं होता है और अपना पूर्ण ध्यान भक्ति और इश्वर में ही लगाता है. यदि कोई साधक इश्वर की भक्ति के लिए निकलता है और पुनः सांसारिक मोह माया के भ्रम में पड़ता है, मान सम्मान के लिए दौड़ता है तो समझो की वह सच्चा शूरवीर नहीं है, वह कायर है.