धर्म किए धन ना घटे नदी न घटे नीर हिंदी मीनिंग
धर्म किए धन ना घटे , नदी न घटे नीर।
अपनी आंखन देख लो , कह गये दास कबीर।
Dharm Kiye Dhan Na Ghate, Nadi Na Ghate Neer,
Apni Aakhan Dekh Lo, Kah Gaye Das Kabir
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
धर्म के नाम पर दान को
कबीर साहेब ने उचित ठहराया है की धर्म और दान करने से धन घटता नहीं है जैसे की नदी से थोड़ा पानी ले लिया जाय तो क्या नदी का पानी घट जाता है ? नहीं। इस पर कबीर साहेब सन्देश देते हैं की इसे तुम करके देख लो, अवश्य ही तुमको लाभ ही प्राप्त होगा। आशय है की धर्म और दान पुन्य व्यक्ति को पुन्य की प्राप्ति में सहायता करते हैं। इसलिए अपनी आय से, कमाई से कुछ हिस्सा जरुरतमंदों और गरीबों में अवश्य ही सहायता के रूप में करनी चाहिए।
कबीर साहब ने इस दोहे के माध्यम से धर्म के महत्त्व को समझाया है। वे कहते हैं कि धर्म एक ऐसी चीज है जिसे करने से कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। जिस प्रकार नदी का जल लोगों के पीने से कम नहीं होता, बल्कि वह बढ़ता ही जाता है, उसी प्रकार धर्म करने से धर्म का विस्तार होता है। धर्म का अर्थ है, मानवता का पालन करना। धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति दूसरों की मदद करता है, उनके दुखों को दूर करता है। वह सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलता है। धर्म के मार्ग पर चलने से मनुष्य का आत्मिक विकास होता है, वह परमात्मा के निकट होता जाता है। कबीर साहब कहते हैं कि धर्म करने से मनुष्य को भौतिक लाभ भी मिलता है। धर्म करने से मनुष्य का मन शुद्ध होता है, वह दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता है।
कबीर दास जी के इस दोहे में उन्होंने दान-धर्म के महत्व को समझाया है। वे कहते हैं कि दान-धर्म करने से धन नहीं घटता, बल्कि बढ़ता है। ठीक उसी तरह जैसे नदी निरंतर बहती रहती है, लेकिन उसका पानी खत्म नहीं होता। कबीर दास जी का कहना है कि यदि किसी को दान-धर्म करने से धन घटने का भय हो तो वह स्वयं करके देख ले। वह स्वयं देखेगा कि दान-धर्म करने से धन नहीं घटता, बल्कि बढ़ता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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