कबीर विषधर बहु मिले मणिधर मिला न कोय हिंदी मीनिंग Kabir Vishdhar Bahu Mile Meaning

कबीर विषधर बहु मिले मणिधर मिला न कोय हिंदी मीनिंग Kabir Vishdhar Bahu Mile Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

कबीर विषधर बहु मिले, मणिधर मिला न कोय |
विषधर को मणिधर मिले, विष तजि अमृत होय ||
 
Kabir Vishdhar Bahut Mile, Manidhar Mila Na Koy,
Vishdhar Ko Manidhar Mile, Vish Taji Amrit Hoy.
 
कबीर विषधर बहु मिले मणिधर मिला न कोय हिंदी मीनिंग Kabir Vishdhar Bahu Mile Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब कहते हैं की इस जगत में दिखावा करने वाले और लोगों का अहित करने वाले बहुत से मिले हैं लेकिन कोई भी उसे मणिधर नहीं मिला है, सभी विषधर ही उनको मिले हैं. जब मणिधर (ग्यानी और विद्वान् ) व्यक्ति को कोई अज्ञानी मिलता है तो अवश्य ही उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है. मणिधर के मिलने से विषधर व्यक्ति विष का त्याग करके ज्ञान को प्राप्त करता है.इस संसार में बुरे लोग बहुत मिलते हैं, पर अच्छे लोग नहीं मिलते। यदि बुरे लोगों को अच्छे लोग मिल जाएँ, तो बुराई मिटकर अच्छाई हो सकती है।

कबीर दास जी कहते हैं कि विषधर सर्प का मतलब है बुरा आदमी। मणिधर सर्प का मतलब है अच्छा आदमी। यदि विषधर सर्प को मणिधर सर्प मिल जाएँ, तो विषधर सर्प का विष भी अमृत बन जाएगा। इसका मतलब है कि बुराई भी अच्छाई में बदल सकती है।

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