कबीर विषधर बहु मिले मणिधर मिला न कोय हिंदी मीनिंग
कबीर विषधर बहु मिले, मणिधर मिला न कोय |
विषधर को मणिधर मिले, विष तजि अमृत होय ||
Kabir Vishdhar Bahut Mile, Manidhar Mila Na Koy,
Vishdhar Ko Manidhar Mile, Vish Taji Amrit Hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग
कबीर साहेब कहते हैं की इस जगत में दिखावा करने वाले और लोगों का अहित करने वाले बहुत से मिले हैं लेकिन कोई भी उसे मणिधर नहीं मिला है, सभी विषधर ही उनको मिले हैं. जब मणिधर (ग्यानी और विद्वान् ) व्यक्ति को कोई अज्ञानी मिलता है तो अवश्य ही उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है. मणिधर के मिलने से विषधर व्यक्ति विष का त्याग करके ज्ञान को प्राप्त करता है.इस संसार में बुरे लोग बहुत मिलते हैं, पर अच्छे लोग नहीं मिलते। यदि बुरे लोगों को अच्छे लोग मिल जाएँ, तो बुराई मिटकर अच्छाई हो सकती है।
कबीर दास जी कहते हैं कि विषधर सर्प का मतलब है बुरा आदमी। मणिधर सर्प का मतलब है अच्छा आदमी। यदि विषधर सर्प को मणिधर सर्प मिल जाएँ, तो विषधर सर्प का विष भी अमृत बन जाएगा। इसका मतलब है कि बुराई भी अच्छाई में बदल सकती है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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