रंभा एकादशी व्रत कथा विधि व्रत के फायदे Rambha Ekadashi Vrat Kaha Pujan Vidhi Fayde

रंभा या रमा एकादशी क्या होती है ? Rambha/Rama Ekadashi

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रंभा एकादशी व्रत किया जाता है। रंभा एकादशी को भगवान कृष्ण का संपूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य तथा आरती कर प्रसाद वितरित करके ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है तथा दक्षिणा दी जाती है। रंभा एकादशी व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत को रम्भा या रमा एकादशी भी कहा जाता है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस व्रत को करने से स्त्रियों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प में यह कहें कि मैं इस रंभा एकादशी का व्रत कर रही हूं। इस व्रत के प्रभाव से मुझे और मेरे परिवार को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त हो। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी या रम्भा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर महालक्ष्मी के रमा स्वरूप के साथ-साथ भगवान विष्णु के पूर्णावतार केशव स्वरुप के पूजन का विधान है।

रंभा एकादशी व्रत कथा Rambha Ekadashi Vrat Kaha

रमा एकादशी व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस व्रत को करने से स्त्रियों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से स्त्रियों की पति के प्रति श्रद्धा और प्रेम बढ़ता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। पति की आयु में वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। रमा एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रंभा एकादशी व्रत कथा Rambha Ekadashi Vrat Kaha

बहुत समय पहले की बात है। मुचूकुंद नाम का एक धर्मात्मा और धनी राजा था। वह प्रत्येक एकादशी का व्रत करता था। राज्य की प्रजा भी राजा की तरह ही प्रत्येक एकादशी का व्रत रखने लगी। राजा के चंद्रभागा नाम की एक पुत्री थी। वह भी एकादशी का व्रत करती थी। राजा मुचूकुंद ने उसका विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन के साथ किया। शोभन राजा के साथ ही रहता था। इसलिए वह भी एकादशी का व्रत करने लगा।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को शोभन ने एकादशी का व्रत रखा। परंतु भूख से व्याकुल होकर मृत्यु को प्राप्त हो गया। इससे राजा, रानी और उनकी पुत्री बहुत ही दुखी हुए। लेकिन उन्होंने एकादशी का व्रत जारी रखा और वह एकादशी का व्रत करते रहे।

शोभन को व्रत के प्रभाव से मंदराचल पर्वत पर स्थित देवनगर में आवास मिला। वहां उसकी सेवा में रम्भादी अप्सराये तत्पर थी। अचानक एक दिन मुचूकुंद मंदराचल पर्वत पर गए। तो उन्होंने वहां शोभन को देखा। घर आकर उन्होंने सारा वृत्तांत रानी एवं पुत्री को बताया। पुत्री समाचार पाकर बहुत ही खुश हुई तथा अपने पति के पास रहने चली गई। तथा दोनों सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे। उनकी सेवा में रम्भादीक अप्सरायें लगी रहती थी। इसलिए इसी एकादशी को रंभा एकादशी कहते हैं।

रमा एकादशी व्रत महत्व Rama Ekadashi importance in Hindi

इस व्रत को करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
सौभाग्य प्राप्त होता है।
पति के आयुष्य में वृद्धि होती है।
संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है।
पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
जीवन में समृद्धि और संपन्नता आती है।

रमा एकादशी व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस व्रत को करने से स्त्रियों की पति के प्रति श्रद्धा और प्रेम बढ़ता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। पति की आयु में वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

व्रत का संकल्प:
व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प में यह कहें कि मैं इस रमा एकादशी का व्रत कर रही हूं। इस व्रत के प्रभाव से मुझे और मेरे परिवार को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त हो।

पूजन:
व्रत के दिन भगवान श्रीकृष्ण का विधिपूर्वक पूजन करें। पूजन में भगवान को फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान की आरती करें।

व्रत का पारण:
द्वादशी तिथि को सुबह स्नान आदि करके भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें। इसके बाद ब्रह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। इसके बाद व्रती अन्न ग्रहण करें।

रमा एकादशी व्रत का एक अन्य महत्व यह भी है कि यह व्रत दिवाली से एक दिन पहले आता है। दिवाली के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायता मिलती है। अगर आप रमा एकादशी व्रत का पालन करना चाहते हैं तो इसकी विधि और महत्व को ध्यान से समझ लें और इस व्रत को विधिपूर्वक करें।
 

रमा एकादशी की पूजन विधि Rama Ekadashi Pujan Vidhi

रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत विधि
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजन स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करें।
  • पीले फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, गंध, मिठाई आदि अर्पित करें।
  • एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
  • शाम के समय भगवान विष्णु की आरती करें।
  • एकादशी के दिन फलाहार करें।
  • द्वादशी के दिन सूर्योदय से पहले पारण करें।
 
रमा एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति मृत्यु के उपरान्त मोक्ष प्राप्त करता है।

रमा एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति मृत्यु के उपरान्त मोक्ष प्राप्त करता है।

रमा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम
रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। यह व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी के दिन कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इन कामों को करने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है या व्रत का कोई लाभ नहीं मिल सकता है।

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रमा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

वृक्ष से पत्ते न तोड़ें। रमा एकादशी के दिन वृक्षों को पूजनीय माना जाता है। इस दिन वृक्ष से पत्ते तोड़ने से वृक्षों को चोट पहुंचती है और यह पाप माना जाता है।
घर में झाड़ू न लगाएं। रमा एकादशी के दिन घर में झाड़ू लगाने से घर के छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है। और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है।
बाल न कटवाएं। रमा एकादशी के दिन बाल कटवाने से व्यक्ति के सौंदर्य में कमी आती है।
कम से कम बोलें। रमा एकादशी के दिन कम से कम बोलने की कोशिश करें। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्योंकि ज्यादा बोलने से मुंह से गलत शब्द निकलने की संभावना रहती है।
चावल का सेवन न करें। रमा एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है।
किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं। रमा एकादशी के दिन किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं।
मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें। रमा एकादशी के दिन मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें।
फलाहारी हैं तो गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें। रमा एकादशी के दिन फलाहारी हैं तो गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें। वे आम, केला, अंगूर, पिस्ता और बादाम आदि का सेवन कर सकते हैं। इन कामों को करने से रमा एकादशी का व्रत पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता है। इसलिए इन कामों से बचना चाहिए।
 

रमा एकादशी पर जरूर करें ये काम

गीता का पाठ करना चाहिए। गीता भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश है। इस उपदेश में जीवन जीने का सही तरीका बताया गया है। रमा एकादशी के दिन गीता का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और वह जीवन में सही मार्ग पर चल पाता है।
किसी भी व्यक्ति को कष्ट न पहुंचाना चाहिए। रमा एकादशी के दिन व्रती को किसी भी व्यक्ति को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। इस दिन व्रती को दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।
व्रत की रात्रि जागरण करना चाहिए। व्रत की रात्रि जागरण करने से व्यक्ति को अधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन व्रती को भगवान श्रीकृष्ण की कथा सुननी चाहिए या खुद पढ़नी चाहिए।
चंद्रोदय पर दीपदान करना चाहिए। चंद्रोदय पर दीपदान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इन कामों को करने से रमा एकादशी का व्रत पूरी तरह से सफल होता है और व्यक्ति को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
 

रमा या रम्भा एकादशी की व्रत कथा एवं महत्त्व

रमा एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन उपवास करना चाहिए। इस दिन मांस, मछली, अंडा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन जूठे बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। इस दिन क्रोध, लोभ, मोह आदि बुरे विचारों से दूर रहना चाहिए। रमा एकादशी व्रत सभी भक्तों के लिए बहुत ही लाभकारी है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी व्रत के महत्व के बारे में पद्म पुराण में कहा गया है कि रमा एकादशी व्रत कामधेनु और चिंतामणि के समान फल देता है। इस व्रत को करने से जातक अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है। एवं मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से धन-धान्य आदि की कमी दूर हो जाती है।
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