सत्यनारायण व्रत में क्या खाना चाहिए Satyanarayan Ke Vrat Me Khya Khayen

सत्यनारायण व्रत कथा हर महीने की पूर्णमासी को सुनी जाती है या एकादशी को या बृहस्पतिवार को सत्यनारायण कथा सुन सकते है सत्यनारायण भगवान को पीले फूल और पीले भोग अत्यधिक पसंद है। सत्यनारायण व्रत में कथा सुनने के पश्चात् प्रसाद ग्रहण किया जाता है और इसके उपरान्त ही पूर्ण भोजन को ग्रहण किया जाता है। प्रसाद के रूप में पंचामृत को ग्रहण किया जाता है। सत्यनारायण व्रत करने के दिवस प्रातः ही व्रत का संकल्प लिया जाता है। संकल्प के साथ आप गाय का दूध और फल ले सकते हैं। उल्लेखनीय है की व्रत में खाने वाले खाद्य प्रदार्थों की तासीर उष्ण नहीं होती है। कुछ लोग पुरे दिन का व्रत करते हैं और फल ही ग्रहण करते है अनाज आदि का सेवन नहीं करते हैं। आइये इस लेख में हम जान लेते हैं की भगवान श्री सत्यनारायण की व्रत कथा के उपरान्त कैसा भोजन ग्रहण किया जाता है।
 

सत्यनारायण व्रत में क्या खाना चाहिए ? Satyanarayan Ke Vrat Me Khya Khayen

 
सत्यनारायण व्रत करते हुए शुद्ध और सात्विक भोजन को ही ग्रहण करना सर्वोत्तम रहता है। व्रत के दौरान क्या भोजन ग्रहण करें और क्या नहीं यह व्यक्तिगत श्रधा पर आधारित होता है लेकिन फिर भी हमें सात्विक भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए। आलू, साबूदाना आदि को शामिल करें जिनमें पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेटस होते हैं और इसके साथ आप फ्रूट्स लें, इससे जरूरी एनर्जी मिलेगी और कमजोरी नहीं महसूस होगी।
 
फलाहार : व्रत के दौरान फलाहार सबसे उत्तम होते हैं। ताजे फलों से जहाँ शरीर को पोषण मिलता है वहीँ पर धार्मिक दृष्टि से भी फल को पवित्र माना जाता है। यही कारण है की अनेकों धार्मिक आयोजनों पर विभिन्न फलों को पूजा सामग्री के साथ रखा जाता है। आप मौसमी फल यथा सेव, बेर, संतरा, अनार, अंगूर, कीवी, पपीता, नाशपाती, केला, आम, केला स्ट्राबेरी, अमरूद आदि का सेवन कर सकते हैं। 

सलाद : सलाद के रूप में आप खीरा, गाजर, टमाटर, नीम्बू, ककड़ी, हरा धनिया, मुली, शलगम आदि का उपयोग कच्चे सलाद के रूप में कर सकते हैं। इन पर आप काली मिर्च का पाउडर और सेंधा नमक का उपयोग करें।

मसाले जो आप उपयोग में ले सकते हैं : आप जीरा, कालीमिर्च लौंग, हरी इलायची, दालचीनी, अजवाइन, सेंधा नमक का उपयोग करें, लाल मिर्च और साधारण नमक का उपयोग प्रायः नहीं किया जाता है।

डेयरी प्रोडक्ट्स : व्रत के दौरान आप घर के दूध, दही, घर पर बनाया गया पनीर, देसी घी, आदि का उपयोग कर सकते हैं।

सागार : साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टु का आटा, सामे चावल, राजगिर (रामदाना) आदि का सागार बना सकती हैं।

प्रसाद के रूप में चरणामृत : दूध, दही, तुलसी, गंगाजल तथा शहद आदि से तैयार चरणामृत को आप प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। आप चाहे तो कसार का प्रसाद भी तैयार कर सकते हैं। प्रसाद के लिए गेंहू के आटे की पंजीरी, फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, हो ले सकते हैं।

सत्यनाराण की कथा से सत्यनारायण व्रत कथा से सुधरती है जीवन की दशा, हर मनोकामना पूर्ण होती है। घरेलु क्लेशों से मुक्ति का यह एक आसान तरीका है। यह व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस व्रत का मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना, सत्य के महत्त्व को स्थापित करना है।

सत्यनारायण व्रत विधि और संकल्प

यजमान को सत्यनारायण व्रत करने के लिए, वह सबसे पहले पवित्र और शुद्ध मन से संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत को दो तरीकों से किया जा सकता है। पहला तरीका है, जब यदि उसकी कोई मनोकामना पूरी हो चुकी है या कोई शुभ कार्य घर-परिवार में हो रहा है, तो उसे यह व्रत करना चाहिए। दूसरा तरीका है, जब वह अपने किसी विशेष कार्य को पूरा करवाना चाहता है, तो भी यह व्रत कर सकता है।

संकल्प करने के बाद, इस व्रत की पूजा दोपहर में 12 बजे से पहले की जाती है। यजमान को अपने पूजा स्थान या सत्यनारायण पूजा करने की जगह को गंगाजल और गौमूत्र से साफ-स्वच्छ करना चाहिए। फिर उसे आटे से स्वस्तिक बनाकर उस पर लकड़ी की चौकी रखनी चाहिए। चौकी पर लाल और सफेद कपड़े को आधे-आधे हिस्सों में बिछा दें। 
 
सत्यनारायण व्रत के दिन, सुबह से ही आपको व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इससे पहले, आपको स्नान करके नित्य पूजा के प्रारंभिक कार्यों को करना चाहिए।
व्रत के दौरान, आप फल या दूध का सेवन कर सकते हैं। यह आपकी प्राथमिकता और आपकी व्रताचारणा के अनुसार होता है। इसे सत्यनारायण भगवान के प्रसाद के रूप में स्वीकार किया जाता है।
शाम को, आपको सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा करनी चाहिए। इसके दौरान आप भगवान को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती, माला, वस्त्र आदि से पूजते हैं।
व्रत को पूरा करने के बाद, आप व्रत को खोल सकते हैं। इसके बाद, चरणामृत बनाने के लिए दूध, दही, तुलसी, गंगाजल और शहद का उपयोग किया जाता है। इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है

भगवान सत्यनारायण का प्रसाद

भगवान सत्यनारायण की पूजा से न केवल स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है, बल्कि इससे सत्संग और मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है। पूजा के दौरान भक्तों का मन एकाग्र होता है और वे भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।

व्रत के अंत में भगवान सत्यनारायण का प्रसाद बनाया जाता है जो गेहूं के आटे की पंजीरी, फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान और अन्य सामग्री से बनता है। यह प्रसाद भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक होता है और उसे सभी भक्तों को भंडार करना चाहिए।

इस व्रत के करने से न केवल धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है, बल्कि इससे मानसिक शांति भी मिलती है। भक्तों को सत्यनारायण की कथा सुनने और पूजा करने के द्वारा अपने मन को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। इससे वे जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति के लिए नई ऊर्जा और सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं।

सत्यनारायण की कथा /व्रत से दरिद्रता का नाश होता है।

इस व्रत के माध्यम से भक्त भगवान की कृपा को आकर्षित करते हैं और उनसे धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, यह व्रत भक्त को सात्विकता, समर्पण और संकल्प की शक्ति देता है, जो उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करता है।

सत्यनारायण व्रत क्यों किया जाता है ?

सत्यनारायण व्रत करने का प्रमुख कारण है कि यह व्रत घर-परिवार की सुख-समृद्धि, आर्थिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत भगवान सत्यनारायण की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

इस व्रत का अन्य उद्देश्य है कन्या के विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करना। विवाह एक महत्वपूर्ण घटना होती है और कई बार उसमें अवरोध आ सकते हैं। सत्यनारायण व्रत करने से पहले और पूजा के दौरान, कन्या के विवाह के लिए सभी बाधाएं दूर होती हैं और विवाह कार्यक्रम सुखपूर्वक संपन्न होता है।

इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति के मन में कोई विशेष कामना है या कोई उद्देश्य पूरा करवाना है, तो भी सत्यनारायण व्रत का आयोजन किया जा सकता है। इस व्रत के द्वारा, व्यक्ति अपनी कामना को प्रसन्नता के साथ पूर्ण कर सकता है और उसे अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफलता मिलती है।

सत्यनारायण की कथा/व्रत के लाभ/फायदे

सत्यनारायण व्रत के कई लाभ हैं जो निम्नलिखित हैं:

मनोकामनाओं की पूर्ति: सत्यनारायण व्रत करने से, व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि कोई विशेष इच्छा है, उसे प्राप्त करने की कामना से व्रत किया जाता है और इससे व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति होती है।

संकटों का नाश: सत्यनारायण व्रत करने से सभी संकटों और कष्टों का नाश होता है। यह व्रत व्यक्ति को भय, चिंता और दुःख से मुक्त करता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है।

विवाह में समृद्धि: जब कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा हो, तो सत्यनारायण व्रत करने से उचित विवाह प्रस्ताव आने लगते हैं और विवाह कार्यक्रम सुखपूर्वक सम्पन्न होता है।

आजीविका की समस्या का निदान: इस व्रत का पालन करने से आजीविका संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। यह व्रत व्यक्ति को आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाता है और उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

सत्यनारायण व्रत करने से नौकरी में तरक्की और बिजनेस में लाभ होता है। इस व्रत के द्वारा आप नई नई नौकरियों प्राप्त कर सकते हैं और अपने बिजनेस को बढ़ावा दे सकते हैं। अगर आप बिजनेस के लिए नया प्रोजेक्ट लाना चाहते हैं तो भी इस व्रत को करके आप उसमें सफलता पा सकते हैं।



सत्यनारायण कथा एवं आरती । Full Shri Satya Narayan Katha With Aarti | Satyanarayan Katha

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सत्यनारायण कथा का महत्व

स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान सत्यनारायण की कथा करने और सुनने से व्यक्ति के ऊपर विष्णु की विशेष कृपा बरसती है। इससे न केवल घर में सुख-शांति की वातावरण बनी रहती है, बल्कि उनके जीवन में आने वाली समस्याओं का निवारण भी होता है। पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा करवाने से भगवान सत्यनारायण प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
 

सत्यनारायण कौन थे

सत्यनारायण भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं। विष्णु पुराणों के अनुसार, उन्होंने सत्ययुग में पृथ्वी पर आपातकाल में जन्म लिया था। सत्यनारायण भगवान के नाम से जाने जाने वाले व्रत और कथाएं भक्तों के बीच व्याप्त हैं, जिन्हें करने और सुनने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

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