सात समंद की मसि करौं लेखनि सब बनराइ हिंदी मीनिंग
सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ॥
Saat Saman Ki Masi Karo, Lekhani Sab Banrai,
Dharati Sab Kagad Karu, Tau Hari Gun Likhya Na Jai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इश्वर के निराकार गुणों की बात करते हुए कहते हैं की सातों समुद्र के पानी को यदि स्याही बना ली जाए, समस्त वृक्षों की लकड़ी को यदि कलम बना ली जाय, इस धरती को यदि कागज़ बना लिया जाय तब भी हरी के गुणों की व्याख्या कर पाना संभव नहीं है। आशय है की हरी के गुण अनंत हैं जिन्हें कोई भी साधक/भक्त अपने शब्दों में वर्णन नहीं कर पाता है। कबीर दास जी इस दोहे में परमात्मा के अनंत गुणों को व्यक्त कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति सातों समुद्रों के जल को स्याही बना ले, समस्त वन समूहों की लकड़ी से लेखनी बना ले, और सारी पृथ्वी को काग़ज़ बना ले, तब भी वह परमात्मा के गुणों को पूरी तरह से वर्णन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि परमात्मा अनंत हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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