हाथी चढि के जो फिरै ऊपर चंवर ढुराय मीनिंग Hathi Chadhi Ke Meaning

हाथी चढि के जो फिरै ऊपर चंवर ढुराय मीनिंग Hathi Chadhi Ke Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi / Hindi Bhavarth

हाथी चढि के जो फिरै, ऊपर चंवर ढुराय
लोग कहैं सुख भोगवे, सीधे दोजख जाय
 
हाथी चढि के जो फिरै ऊपर चंवर ढुराय मीनिंग Hathi Chadhi Ke Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब की वाणी है की जो हाथी पर सवार होकर अपने ऊपर चंवर को ढूवाते हैं और लोग कहते हैं की वे तमाम सुखों की प्राप्ति कर रहे हैं. लेकिन यह सत्य नहीं है. साहेब कहते हैं की ऐसे लोग जो भौतिक सुखों के पीछे लगे रहते हैं, संसार में ही लिप्त रहते हैं और जो इश्वर की भक्ति से विमुख हैं वे आगे चलकर नरक/दोजख को प्राप्त करते हैं क्योंकि उन्होंने अमूल्य मानव जीवन को माया जनित व्यवहार में व्यर्थ ही खो दिया है. आजकल लोग केवल भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं। वे धन, पद और सम्मान के लिए पागल हो गए हैं। वे धर्म और जनकल्याण के नाम पर भी दिखावा कर रहे हैं। ऐसे लोग वास्तव में मूर्ख हैं। वे अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। कबीरदास जी ने इस दोहे में ऐसे लोगों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि केवल भौतिक सुखों के पीछे भागना मूर्खता है। हमें अपनी बुद्धि को विकसित करना चाहिए और धर्म और जनकल्याण के लिए काम करना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में सफल हो सकते हैं और परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। आपकी व्याख्या से मुझे यह भी समझ आया कि कबीरदास जी एक बहुत ही दूरदर्शी संत थे। उन्होंने आज के समय को बहुत पहले ही देख लिया था। उन्होंने बताया था कि लोग भौतिक सुखों के पीछे भागकर अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने लोगों को धर्म और जनकल्याण के लिए काम करने की प्रेरणा दी थी।

 
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