ये तीनों उलटे बुरे साधु, सती और सूर मीनिंग Ye Teeno Ulate Bure Meaning

ये तीनों उलटे बुरे साधु, सती और सूर मीनिंग Ye Teeno Ulate Bure Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

ये तीनों उलटे बुरे, साधु, सती और सूर |
जग में हँसी होयगी, मुख पर रहै न नूर ||
 
Ye Teeno Ulate Bure, Sadhu Sati Aur Shoor,
Jag Me Hansi Hoygi, Mukh Par Rahe Na Noor.
 
ये तीनों उलटे बुरे साधु, सती और सूर मीनिंग Ye Teeno Ulate Bure Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में, कबीर दास जी ने साधु, सती और शूरवीर के आदर्शों/लक्ष्य से भटकने के परिणामों के बारे में बताते हुए कहते हैं की साधू, सती और सुरमा यदि तीनों ही अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं, अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं तो इनका परिणाम बुरा ही होता है. जैसे की सती यदि अपने लक्ष्य से विमुख हो जाती है तो समाज में उसका मान सम्मान कम होने लगता है, वह अपनी पवित्रता को भी समाप्त कर देती है. ऐसे ही शूरवीर यदि युद्ध के लिए आमुख हो जाए और फिर यदि वह कायरता के कारण अपने लक्ष्य को छोड़कर यदि पीछे मुड़ता है तो लोग उस पर हँसते हैं और वह भी लोगों में अपना सम्मान खो देता है, उसकी जग हंसाई होती है.ऐसे ही यदि साधू भी भक्ति को छोड़कर सांसारिक क्रियाओं में लिप्त होता है तो उसका आध्यात्मिक पतन हो जाता है. वस्तुतः साधू की दुर्गति कहीं अधिक होती है. 

अतः स्पष्ट है की इस दोहे के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कबीर साहेब कहते हैं की साधू को कभी भी अपने विचारों, लक्ष्य और भक्ति से विमुख नहीं होना चाहिए.

इस दोहे में, "साधु" का अर्थ है धर्मपरायण व्यक्ति। "सती" का अर्थ है पतिव्रता स्त्री। "सूरा" का अर्थ है वीर पुरुष। कबीर दास जी कहते हैं कि अगर कोई साधु, सती या शूरवीर अपने लक्ष्य से भटक जाता है तो वह समाज में निंदा का पात्र बन जाता है। अतः तीनों को ही अपने लक्ष्य को कभी भी विस्मृत नहीं करना चाहिए. इस दोहे की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि कबीर दास जी के समय में थीं। हमें हमेशा अपने आदर्शों के प्रति दृढ़ रहना चाहिए। हमें कभी भी अपने आदर्शों से भटकना नहीं चाहिए।
 
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