जिस घर में वास हो पितरों का

पितृपक्ष एक हिंदू पर्व है जो आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों या पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनके लिए पिंडदान करते हैं। पितृपक्ष को "सोलह श्राद्ध", "महालय पक्ष" और "अपर पक्ष" आदि नामों से भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म में पितरों का विशेष महत्व है। उन्हें मृतकों के रूप में नहीं, बल्कि जीवितों के रूप में माना जाता है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने का उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उन्हें मोक्ष दिलाना है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध करने से पितरों को पुण्य मिलता है और वे अपने वंशजों पर प्रसन्न होते हैं।

पितृपक्ष में श्राद्ध करने के लिए सबसे पहले किसी पवित्र स्थान पर स्नान करना चाहिए। फिर, एक तांबे के बर्तन में जल, चावल, जौ, तिल, फूल, फल, मिठाई आदि लेकर पितरों को अर्पित करना चाहिए। इसके बाद, पितरों के नाम का स्मरण करते हुए उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए। श्राद्ध के अंत में, ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देनी चाहिए।

Naye Bhajano Ke Lyrics

जिस घर में वास हो पितरों का

जिस घर में वास हो पितरों का,
उस घर की बात निराली है,
जिस घर में वास हो पितरों का,
उस घर की बात निराली है।

सब देवों से पहले घर में,
पितरों की पूजा होती है,
जिस घर में इनका मान रहे,
उस घर की सिद्धि होती है।

उस कुल के पेड़ का हर पत्ता,
और महक रही डाली डाली,
जिस घर में वास हो पितरों का,
उस घर की बात निराली है।

घर के देवों की महिमा को,
हर घर वाले पहचान रहे,
जो भूल चूक हो पितरों की,
उनको इनका क्या ध्यान रहे,
उस घर के प्राणी सुख पाते,
जिस घर की डोर संभाल रहे,
जिस घर में वास हो पितरों का,
उस घर की बात निराली है।

पितरों का वास है पेण्डे पर,
नित दीपक जलाया जाता है,
उस में जल भरकर नित घंटी,
वहाँ चढ़ाया जाता है,
घर रूपी बाग बगीचे के,
पितर ही सच्चे माली हैं,
जिस घर में वास हो पितरों का,
उस घर की बात निराली है।
 



जिस घर में वास हो पितरों का - #Pitar Bhajan with Lyrics @bhajanpotli

हिंदू धर्म में पितरों का विशेष महत्व है। उन्हें मृतकों के रूप में नहीं, बल्कि जीवितों के रूप में माना जाता है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने का उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उन्हें मोक्ष दिलाना है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध करने से पितरों को पुण्य मिलता है और वे अपने वंशजों पर प्रसन्न होते हैं।

पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें
पितृपक्ष में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • इस दौरान तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
  • श्राद्ध कर्म के दौरान लोहे का बर्तन में खाना पकाने से बचना चाहिए।
  • पितृपक्ष में पीतल, तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
  • इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।
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