हारूंगा कैसे जब साथ तुम्हारा है
हारूंगा कैसे जब साथ तुम्हारा है भजन
हारूंगा कैसे,
जब साथ तुम्हारा है,
सिर पे सांवरिया,
जब हाथ तुम्हारा है,
है मुझे भरोसा तुम,
मेरा साथ ना छोड़ोगे,
तूफानों में बाबा तुम,
हाथ ना छोड़ोगे।
तुम साथ हो तो,
कोई क्या करेगा,
आने से पहले,
डर भी डरेगा,
मेरी राह सरल होगी,
हर मुश्किल हल होगी,
विश्वास मुझे है मेरी,
कोशिश ना विफल होगी।
जब जब रूका कोई,
भी काम मेरा,
तब काम आया है,
बस नाम तेरा,
आता है काम भजन,
तेरी सेवा तेरा कीर्तन,
मेरी ताकत बन जाते,
मुश्किल में ये प्रेमी जन।
थी दूर मंजिल,
कठिन मेरी राहें,
तुमने सम्भाला मुझको,
फैला का बांहें,
तुमने ही सम्भाला है,
आगे भी सम्भालोगे,
संकट से निकालोगे,
मेरी लाज बचा लोगे।
तुम जानते हो,
मेरी जो दशा है,
माया ने कैसा,
शिकंजा कसा है,
मेरी भूल क्षमा कर दो,
बालक पे दया कर दो,
संकट ने घेरा है,
संकट से रिहा कर दो।
हालात मेरे बाबा,
तभी ठीक होगें,
जब आप मेरे,
नज़दीक होंगे,
मुझे द्वार पे रहने दो,
दरबार में रहने दो
मुझको अपनी सेवा,
सत्कार में रहने दो।
तेरी कृपा है,
बाबा तेरी दया है,
जीवन में मेरे वरना,
रखा ही क्या है,
ये शान जो मेरी है,
पहचान जो मेरी है,
है तेरी कृपादृष्टि,
और दान वो तेरी है।
टूटने न देना विश्वास प्यारे,
प्रेमी की नैया है तेरे सहारे,
ज़रा हाथ बढ़ाओ ना,
इसे पार लगाओ ना,
मोहित होकर मुझपे,
जल्दी आ जाओ ना।
हारूंगा कैसे,
जब साथ तुम्हारा है,
सिर पे सांवरिया,
जब हाथ तुम्हारा है,
है मुझे भरोसा तुम,
मेरा साथ ना छोड़ोगे,
तूफानों में बाबा तुम,
हाथ ना छोड़ोगे।
जब साथ तुम्हारा है,
सिर पे सांवरिया,
जब हाथ तुम्हारा है,
है मुझे भरोसा तुम,
मेरा साथ ना छोड़ोगे,
तूफानों में बाबा तुम,
हाथ ना छोड़ोगे।
तुम साथ हो तो,
कोई क्या करेगा,
आने से पहले,
डर भी डरेगा,
मेरी राह सरल होगी,
हर मुश्किल हल होगी,
विश्वास मुझे है मेरी,
कोशिश ना विफल होगी।
जब जब रूका कोई,
भी काम मेरा,
तब काम आया है,
बस नाम तेरा,
आता है काम भजन,
तेरी सेवा तेरा कीर्तन,
मेरी ताकत बन जाते,
मुश्किल में ये प्रेमी जन।
थी दूर मंजिल,
कठिन मेरी राहें,
तुमने सम्भाला मुझको,
फैला का बांहें,
तुमने ही सम्भाला है,
आगे भी सम्भालोगे,
संकट से निकालोगे,
मेरी लाज बचा लोगे।
तुम जानते हो,
मेरी जो दशा है,
माया ने कैसा,
शिकंजा कसा है,
मेरी भूल क्षमा कर दो,
बालक पे दया कर दो,
संकट ने घेरा है,
संकट से रिहा कर दो।
हालात मेरे बाबा,
तभी ठीक होगें,
जब आप मेरे,
नज़दीक होंगे,
मुझे द्वार पे रहने दो,
दरबार में रहने दो
मुझको अपनी सेवा,
सत्कार में रहने दो।
तेरी कृपा है,
बाबा तेरी दया है,
जीवन में मेरे वरना,
रखा ही क्या है,
ये शान जो मेरी है,
पहचान जो मेरी है,
है तेरी कृपादृष्टि,
और दान वो तेरी है।
टूटने न देना विश्वास प्यारे,
प्रेमी की नैया है तेरे सहारे,
ज़रा हाथ बढ़ाओ ना,
इसे पार लगाओ ना,
मोहित होकर मुझपे,
जल्दी आ जाओ ना।
हारूंगा कैसे,
जब साथ तुम्हारा है,
सिर पे सांवरिया,
जब हाथ तुम्हारा है,
है मुझे भरोसा तुम,
मेरा साथ ना छोड़ोगे,
तूफानों में बाबा तुम,
हाथ ना छोड़ोगे।
हारूँगा कैसे जब साथ तुम्हारा है । Haarunga Kaise Jab Sath Tumhara Hai । Mohit Sai Ji (Ayodhya Wale)
Album :- Haarunga Kaise
Singer :- Mohit Sai Ji (Ayodhya) 9044466616
Lyricist :- Mohit Sai Ji (Ayodhya) 9044466616
DOP :- Kunal Sonkar Ji (Lucknow)
Music :- MS Music (Aman)
Recording Studio :- Mayur Multi Track (Lko)
Music Label :- Khatu Music
Singer :- Mohit Sai Ji (Ayodhya) 9044466616
Lyricist :- Mohit Sai Ji (Ayodhya) 9044466616
DOP :- Kunal Sonkar Ji (Lucknow)
Music :- MS Music (Aman)
Recording Studio :- Mayur Multi Track (Lko)
Music Label :- Khatu Music
जब जीवन के रास्ते उलझन भरे लगें, जब हर दिशा में तूफ़ान उठ खड़े हों — तब यही विश्वास संभालता है कि कोई है, जो हर हाल में साथ दे रहा है। यह विश्वास सांवरिया के प्रति केवल आस्था नहीं, एक जीती-जागती अनुभूति है। जब कोई कहता है “हारूंगा कैसे, जब साथ तुम्हारा है”, तब उसके भीतर वह निडरता जन्म लेती है जो किसी बाहरी शक्ति से नहीं, ईश्वर के सान्निध्य से आती है। हर विघ्न में नाम स्मरण ही संबल बनता है—“भजन, सेवा, और कीर्तन”—यही उसकी ऊर्जा का स्रोत है; यही वो अदृश्य कवच है जिससे सबसे बड़ी रुकावटें भी सहज मिट जाती हैं।
सांवरिया की करुणा में यह भरोसा बसता है कि उनका हाथ कभी छूटेगा नहीं। वे केवल संकट में हाथ पकड़ते नहीं, वे राह भी दिखाते हैं। यह भाव इस स्वीकार से भरा है कि जीवन का हर उजाला उन्हीं की कृपा से है, हर सफलता उनका आशीर्वाद है। साधक यहाँ अपने जीवन की कमान पूरी तरह उनके हाथों में सौंप देता है — “मुझे द्वार पे रहने दो, दरबार में रहने दो।” यही विनम्रता शरणागति बन जाती है। सांवरिया के प्रेम में यह याची अपने अंतर्मन से यकीन कर चुका है — कि जब तक उनका हाथ सिर पर है, तब तक कोई भी अंधेरा स्थायी नहीं हो सकता।
सांवरिया की करुणा में यह भरोसा बसता है कि उनका हाथ कभी छूटेगा नहीं। वे केवल संकट में हाथ पकड़ते नहीं, वे राह भी दिखाते हैं। यह भाव इस स्वीकार से भरा है कि जीवन का हर उजाला उन्हीं की कृपा से है, हर सफलता उनका आशीर्वाद है। साधक यहाँ अपने जीवन की कमान पूरी तरह उनके हाथों में सौंप देता है — “मुझे द्वार पे रहने दो, दरबार में रहने दो।” यही विनम्रता शरणागति बन जाती है। सांवरिया के प्रेम में यह याची अपने अंतर्मन से यकीन कर चुका है — कि जब तक उनका हाथ सिर पर है, तब तक कोई भी अंधेरा स्थायी नहीं हो सकता।
