भगत शिरो मणि गुरु मुरारी जिसकी गद्दी सबतै भारी

भगत शिरो मणि गुरु मुरारी जिसकी गद्दी सबतै भारी


भगत शिरोमणि गुरु मुरारी,
जिसकी गद्दी सबसे भारी,
सबकी दूर करे लाचारी,
समचाना दरबार में।

आलू सिंह का चेला प्यारा,
सारे हिंदुस्तान में छा रहा,
मंद मंद मुस्काया करता,
होक्के ने गड़काया करता,
पास बिठा समझाया करता,
समचाना दरबार में।

बालाजी का यो भगत बड़ा सै,
दीन दुखी के साथ खड़ा सै,
हरियाणे में नाम जनाग्या,
दीन दुखी का काम बना गया,
घर घर सीताराम सुनाग्या,
समचाना दरबार में।

इतने चेले बना गया गुरु जी,
बात ज्ञान की सुनाग्या गुरु जी,
पार हुआ कितनों का बेड़ा,
मेट दिया सारा उलझेड़ा,
रोज मारता आज भी गेरा,
समचाना दरबार में।

आशीष कौशिक शरण में आया,
संजीत ने भी ध्यान जमाया,
रोहित भगत के राम धुन लागी,
तन मन में मस्ती छा गई,
कैसी चीज अनूठी पा गई,
समचाना दरबार में।

भगत शिरोमणि गुरु मुरारी,
जिसकी गद्दी सबसे भारी,
सबकी दूर करे लाचारी,
समचाना दरबार में।


सिरोमणि गुरु मुरारी जीवन लीला ||समचाना दरबार ||आलू सिंह || Guru Murari ||Ashish Kaushik Samchana

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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