सुख दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग हिंदी मीनिंग Sukh Dukh Sir Upar Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
सुख दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग |
रंग न लागै और का, व्यापै सतगुरु रंग ||
रंग न लागै और का, व्यापै सतगुरु रंग ||
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की साधक को सदा ही गुरु की शरण में रहना चाहिए। साधक को चाहिए की वह कभी भी अन्य विषय विकार में ध्यान नहीं लगाकर हरी की भक्ति करनी चाहिए। किसी अन्य रंग में नहीं / विषय विकार में ना पड़कर भक्ति में ही रहकर अपने मार्ग पर चलना चाहिए। कबीर साहेब के अनुसार हमें सदा ही हरी की भक्ति करनी चाहिए और अपने मार्ग से विमुख नहीं होना चाहिए। जीवन में भले ही सुख हो या दुःख हो, दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति को हरी भक्ति में लीन रहना चाहिए। यदि हम विपरीत समय में अपने मार्ग से विमुख हो जाते हैं तो यह समर्पित भक्ति नहीं होती है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |