सुख दुःख सिर ऊपर सहै कबहु न छाडै संग हिंदी मीनिंग Sukh Dukh Sir Upar Meaning

सुख दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग हिंदी मीनिंग Sukh Dukh Sir Upar Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

सुख  दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग |
रंग न लागै और का, व्यापै सतगुरु रंग ||

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

 
सुख दुःख सिर ऊपर सहै कबहु न छाडै संग हिंदी मीनिंग Sukh Dukh Sir Upar Meaning

कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की साधक को सदा ही गुरु की शरण में रहना चाहिए। साधक को चाहिए की वह कभी भी अन्य विषय विकार में ध्यान नहीं लगाकर हरी की भक्ति करनी चाहिए। किसी अन्य रंग में नहीं / विषय विकार में ना पड़कर भक्ति में ही रहकर अपने मार्ग पर चलना चाहिए।  कबीर साहेब के अनुसार हमें सदा ही हरी की भक्ति करनी चाहिए और अपने मार्ग से विमुख नहीं होना चाहिए। जीवन में भले ही सुख हो या दुःख हो, दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति को हरी भक्ति में लीन रहना चाहिए। यदि हम विपरीत समय में अपने मार्ग से विमुख हो जाते हैं तो यह समर्पित भक्ति नहीं होती है। 

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