गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट हिंदी मीनिंग Guru Kumhar Sish Kumbh Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/bhavarth Sahit
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट।अन्तर हाथ सहारा दै, बाहर बाहै चोट॥५॥
Guru Kumhar Shish Kumbh Hai, Gadhi Gadhi Kadhe Khot,
Antar Haath sahara De, Bahar Bahe Chot.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
गुरु कुम्भकार (कुम्हार) की भाँती है जो शिष्य को घड़े की भाँती आकार देता है। वह कुम्भकार की भाँती घड़े को हाथों से सहारा देता है, उसके अवगुणों को चोट देकर दूर करता है। बाहर से वह चोट देता है और अंदर से वह सहारा देता है। आशय है की गुरु ही शिष्य के अवगुणों को दूर करता है और उसे भक्ति के लिए तैयार करता है।
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