गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट हिंदी मीनिंग

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहारा दै, बाहर बाहै चोट॥५॥
 
Guru Kumhar Shish Kumbh Hai, Gadhi Gadhi Kadhe Khot,
Antar Haath sahara De, Bahar Bahe Chot.
 
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट हिंदी मीनिंग Guru Kumhar Sish Kumbh Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/bhavarth Sahit

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

गुरु कुम्भकार (कुम्हार) की भाँती है जो शिष्य को घड़े की भाँती आकार देता है। वह कुम्भकार की भाँती घड़े को हाथों से सहारा देता है, उसके अवगुणों को चोट देकर दूर करता है। बाहर से वह चोट देता है और अंदर से वह सहारा देता है। आशय है की गुरु ही शिष्य के अवगुणों को दूर करता है और उसे भक्ति के लिए तैयार करता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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