कामी क्रोधी लालची हिंदी मीनिंग Kami Krodhi Lalachi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
कामी क्रोधी लालची, इतने भक्ति न होय |भक्ति करे कोई सुरमा, जाति बरन कुल खोय ||
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब कहते हैं की कामी, क्रोधी और लालची व्यक्ति से भक्ति नहीं हो सकती, ये भक्ति नहीं कर सकते हैं। कामी व्यक्ति का मन हमेशा काम-वासना में लिप्त रहता है। क्रोधी व्यक्ति का मन हमेशा क्रोध में रहता है। और लालची व्यक्ति का मन हमेशा लोभ में रहता है। ऐसे व्यक्ति अपने सांसारिक इच्छाओं के पीछे इतने अंधे होते हैं कि वे ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
दूसरी पंक्ति में कबीर दास जी कहते हैं कि भक्ति तो कोई शूरवीर ही कर सकता है। शूरवीर वह व्यक्ति होता है जो अपने अहंकार और घमंड को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में लीन होता है। वह अपनी जाति, वर्ण और कुल का भेदभाव भूलकर सभी प्राणियों को समान रूप से देखता है और अपने मन को नियंत्रित करके अपना सम्पूर्ण समर्पण इश्वर के प्रति करता है.
दूसरी पंक्ति में कबीर दास जी कहते हैं कि भक्ति तो कोई शूरवीर ही कर सकता है। शूरवीर वह व्यक्ति होता है जो अपने अहंकार और घमंड को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में लीन होता है। वह अपनी जाति, वर्ण और कुल का भेदभाव भूलकर सभी प्राणियों को समान रूप से देखता है और अपने मन को नियंत्रित करके अपना सम्पूर्ण समर्पण इश्वर के प्रति करता है.