रसराज रस के फायदे, उपयोग सेवन विधि Rasraj Ras Benefits Fayde Upyog Sevan Vidhi

रसराज रस के फायदे, उपयोग सेवन विधि Benefits of Rasraj Ras, usage

आयुर्वेद विज्ञान पर आधारित रसराज रस ओषधि गहन गुणों से भरपूर एक ओषधि है। यह ओषधि वटी (टेबलेट) रूप में उपलब्ध है जो की डाबर, बैद्यनाथ (बैद्यनाथ रसराज रस) आदि ब्रांड में आपको उपलब्ध है। रसराज रस त्रिदोषनाशक है और शक्तिवर्धक ओषधि है। यह रसायन है चूँकि यह समुचित पोषण देती है। वात जनित विकारों, वीर्य वर्धक, मूत्र विकार, वीर्य विकार, तंत्रिका तंत्र के विकारों, मांशपेशियों की कमजोरी, पक्षाघात, सर्वांग आदि विकारों में यह विशेष लाभकारी है। यह ओषधि बलवर्धक एवं वीर्यवर्धक है। आइये इस लेख में हम रसराज रस के घटक, गुण, चिकित्सीय प्रभाव और फायदों के विषय में जान लेते हैं। 
 
रसराज रस के फायदे, उपयोग सेवन विधि Benefits of Rasraj Ras, usage

रसराज रस के घटक Ingredients of Rasraj Ras

सामान्य रुप से रसराज के निम्न घटक होते हैं -
  • रस सिंदूर – ४ तोला
  • अभ्रक भस्म – १ तोला
  • सुवर्णभस्म – ६ माशा
  • प्रवाल पिष्टी– ६ माशा
  • मोती पिष्टी– ६ माशा
  • लौह भस्म ३ माशा
  • रौप्य भस्म ३ माशा
  • बंग भस्म -३ माशा
  • असगंध-३ माशा
  • लौंग-३ माशा
  • जावित्री-३ माशा
  • जायफल-३ माशा
  • काकोली-३ माशा

कुछ शास्त्रों में इसके घटक निम्न प्रकार से हैं -
अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म, मोती पिष्टी, प्रवाल भस्म, लौह भस्म, रोप्य भस्म, अश्वगंधा, लवंग, जावित्री, जयफल, काकोली आदि।

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रसराज रस के फायदे/स्वास्थ्य लाभ

रसराज रस त्रिदोषनाशक ओषधि है जिसके कई लाभ होते हैं। आइये विस्तार से इस विषय में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। 

वात रोगों में विशेष लाभकारी

रसराज रस गोल्ड का विशेष प्रभाव वात जनित विकार यथा जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, पक्षाघात, मुंह का एक तरफ टेढ़ा हो जाना, शरीर की कमजोरी, गठिया रोग, गर्दन का दर्द आदि में होता है। अतः जोड़ों के दर्द के लिए अक्सर इस ओषधि का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसके सेवन से शरीर की सम्पूर्ण कमजोरी दूर होती है, नर्वस सिस्टम की दुर्बलता दूर होती है और स्नायु तंत्र मजबूत बनता है।
 

त्रिदोषनाशक है रसराज रस

रसराज रस वटी त्रिदोषनाशक है। वात कफ और पित्त तीनों में इस ओषधि का सकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है। विशेष रूप से वात जनित विकार यथा जोड़ों के दर्द, कमर दर्द, वृद्धावस्था के दर्द आदि में यह ओषधि लाभकारी है। तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी, कमजोरी में यह ओषधि विशेष प्रभाव दिखाती है। पक्षघात, मुंह का टेढ़ा हो जाना, शरीर के किसी अंग का कार्य नहीं करना, गठिया रोग, जोड़ों का दर्द आदि विकारों में रसराज रस का उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त होता है। 
 

वीर्य सम्बन्धी विकारों में उपयोग है रसराज रस

वीर्य का पतला होना, कमजोर होना, शीघ्रपतन, वीर्य वाहिनी  नाड़ियों की कमजोरी, गुप्तांग की कमजोरी, अप्राकृतिक ढंग से वीर्य का नाश आदि में इस ओषधि का उपयोग हितकर होता है। वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। हस्तमैथुन से जनित कमजोरी दूर होती है। अतः शरीर में ताकत का संचार और वीर्य की कमजोरी को दूर करने के लिए आप रसराज रस का सेवन कर सकते हैं। आप एक से तो वटी का उपयोग गुनगुने दूध के साथ करें तो शीघ्र प्रभाव प्राप्त होता है। यदि किसी कारण से नपुसंकता आ गई है तो रसराज गोल्ड का विशेष लाभ होता है। इसके सेवन से वीर्य वृद्धि होती है, जिसके लिए इसे गाय के दूध के साथ लेना अधिक लाभकारी है।

मानसिक कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोग

रस राज रस ओज और शक्तिवर्धक है, जिससे याददास्त की कमी, अवसाद, चिंता आदि को दूर करने में रसराज रस का विशेष प्रभाव है। किसी बिमारी के उपरान्त आई कमजोरी को दूर करने में भी हितकर है।  रसराज रस गोल्ड अपने न्यूरोप्रोटेक्टिव गुणों के के कारण अवसाद के उपचार में उपयोगी है। मस्तिष्क की कोशिकाओं की कमजोरी को दूर करने के लिए उपयोगी है। मस्तिष्क की कमजोरी, स्मरण शक्ति का लोप, क्रोध, चिंता और अवसाद, चिड़चिड़ा स्वभाव, व्यर्थ के विचारों का आना आदि विकारों में इस ओषधि से लाभ मिलता है। यह ओषधि मस्तिष्क को शक्ति देकर स्मरण शक्ति का विकास करने में हितकर है।

रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) विकार में लाभकारी

रक्तचाप के लिए भी आप इस ओषधि का उपयोग डॉक्टर की सलाह के उपरान्त कर सकते हैं। मोती पिष्टी के साथ यह ओषधि अधिक उपयोगी है। 

शरीर की सूजन को दूर करने के लिए

इस ओषधि में एंटी इफ्लेमेंटरी गुण होते हैं जो शरीर की आंतरिक सूजन को दूर करने में सहायक है। बिमारी के उपरान्त सरीर में उत्पन्न सूजन को दूर करने में यह विशेष रूप से लाभकारी है। 

कार्डिएक टॉनिक के रूप में

रसराज रस गोल्ड अपने कार्डियक टॉनिक गुणों के लिए प्रभावी हैं। इसके सेवन से हृदय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शरीर में रक्त का संचरण सुचारु बनता है। अतः हृदय के जोखिम को कम करने के लिए यह ओषधि उपयोगी है। इसके गुणों के आधार पर यह हृदय की कमजोरी को भी दूर करती है और घबराहट और बेचैनी से राहत दिलाती है और नसों और मांसपेशियों की दुर्बलता दूर होती है। 

गर्भाशय संबंधी विकार

आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार यह ओषधि गर्भाशय संबंधी विकार में लाभकारी है। इसके सेवन से बांझपन दूर होता है और गर्भाशय की दुर्बलता भी दूर होती है। अतः महिलाओं के यौन विकारों के उपचार के लिए यह ओषधि उपयोगी है। 

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किडनी से संबंधित रोगों में उपयोगी

किडनी का कमजोर होना, आकार में छोटी होना, अनियमित कार्यप्रणाली से जनित विकारों में रसराज रस का उपयोग लाभकारी है। किडनी के स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन करना लाभकारी हो सकता है। यह विषहरण /लिवर को डीटॉक्सिफाई करने में सहक है और चयापचय स्वास्थ्य को दुरुस्त करता है।

तंत्रिका तंत्र के लिए हितकर

रसराज रस ओषधि का निर्माण जिनसे किया जाता है उनका मूल प्रभाव है की यह तंत्रिका तंत्र के विकार यथा पक्षाघात, हेमटेजिया और चेहरे के पक्षाघात आदि में उपयोगी है। 

मांशपेशियों के आराम के लिए लाभकारी

रसराज रस के सेवन से मांसपेशियों की कमजोरी दूर होती है और उनकी कमजोरी, ऐंठन दूर होती है। 

रसराज रस कैसे लें /मात्रा और सेवन विधि Rasraj Ras Uses

इस ओषधि को आप चिकित्स्क/वैद्य की सलाह के उपरान्त १ से २ वटी गाय के दूध के साथ सुबह नाश्ते के उपरान्त लें। यदि आपकी बिमारी जीर्ण है / जटिल है तो इसका सेवन १ महीने तक किया जा सकता है। 

रसराज रस के सेवन के दौरान परहेज

वात बढ़ाने वाले आहार से परहेज किया जाना चाहिए और इसके साथ ही बेसन, अधिक तैलीय प्रदार्थ, बाजार का चटपटा भोजन, मैदा से बने हुए व्यंजन, फास्ट फ़ूड, रात्रि जागरण, दाल, चावल खटाई, अचार आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। कृपया इस हेतु चिकित्सक से विस्तृत राय लें। 

रसराज रस के नुकसान/साइड इफेक्ट्स

वैसे तो यह एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसके कोई हानिकारक ज्ञात परिणाम नहीं है। फिर भी आप इस ओषधि के सेवन से पूर्व चिकित्सक की राय अवश्य प्राप्त कर लें और निम्न विषय का ध्यान रखें-
  • गर्भावस्था के दौरान इस ओषधि का उपयोग प्रायः नहीं करना चाहिए.
  • इस ओषधि का सेवन बिना चिकित्साक्त की राय के नहीं करना चाहिए।
  • बताई गई मात्रा से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अन्य ओषधियों के साथ इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • छोटे बच्चों को इसे नहीं देना चाहिए।
  • परहेज का ध्यान रखना चाहिए। 
रसराज रस के अन्य लाभ/फायदे -
  • वृद्धावस्था की कमजोरी को दूर करने में सहायक।
  • जीवन शक्ति और ओजवर्धक। 
  • वात रोगों में लाभकारी।
  • हृदय की कमजोरी में लाभकारी।
  • प्रमेह रोग में लाभकारी।
  • नपुंसकता दूर करने के लिए।
  • शारीरिक और मानसिक दुर्बलता। 
  • वातवाहिनी नाड़ी के सुधार में लाभकारी है। 
  • महिला एवं पुरुष दोनों के यौन रोगों में यह कारगर औषधि एंव प्रभावी। 
  • प्रमेह रोग में इस दवा में लाभकारी। 
  • सम्पूर्ण बलवर्धक एवं वीर्यवर्धक है |
  • रसराज रस त्रिदोषनाशक होती है। 
  • बल बुद्धि एवं कांति बढ़ाने के लिए उपयोगी रसायन। 
  • मूत्र विकारों को दूर करने के लिए। 
  • शुक्रवर्धक है |
  • रसराज रस उच्च रक्तचाप की समस्या लाभकारी। 
  • रक्तादि धातुओं का वर्धन करने के लिए। 
  • वृद्धावस्था के कारण अंगो में शिथिलता को दूर करने के लिए। 
  • हड्डियों की कमजोरी को दूर करने में सहायक 
  • रसराज रस का नियमित सेवन थकान और कमजोरी को दूर करती है। 
  • यह ओषधि रोग प्रतिरोधक क्षमता/प्रतिरक्षा को बढ़ाती हैं। 
  • इसके सेवन से हार्मोन संतुलित होते हैं और महिलाओं में, समग्र कल्याण करने में सहायक है। 
  • अवसाद और तनाव को दूर करने के लिए 
  • कफ निस्सारक और ब्रोन्कोडायलेटर गुणों से युक्त है। 
  • पाचन अग्नि को संतुलित करती है।

रस राज रस बनाने की विधि / Rasraj ras preparation

  • रस सिंदूर को महीन पीस कर चूर्ण बना लें।
  • अन्य घटक एंव भस्म को महीन पीस कर चूर्ण बना कर रस सिंदूर के चूर्ण में मिला लें।
  • अब इस मिश्रण को खरल में डालकर ग्वारपाठे के रस से इसका मर्दन करें।
  • अब इसकी छोटी छोटी गोलियां बना कर हवाबंद कंटेनर में स्टोर करें।

रसराज रस की कीमत Rasraj Rasa Price

  • इस ओषधि की वर्तमान में कीमत निम्न प्रकार से है -
  • Baidyanath रसराज रस गोल्ड टैबलेट - 30tab  ₹2,274 (₹2,274 / count)
  • Dabur Rasraj Ras Gold - 30 टैबलेट  ₹2,100 (₹70 / count)
  • दिव्य रस राज रस -चूर्ण रूप में (पतंजलि) १ ग्राम ₹725
  • उपरोक्त कीमत में बदलाव सम्भव है।

रसराज रस के घटक द्रव्यों के फायदे

स्वर्ण भस्म : स्वर्ण भस्म इस ओषधि का एक घटक है जो की समग्र जीवन शक्ति को पुष्ट करती है। शारीरिक और मानसिक कमजोरी को दूर कर तंत्रिका तंत्र के विकार को दूर करने में स्वर्ण भस्म के फायदे हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर आयु बढ़ाने वाली है। इसके साथ ही मस्तिष्क को मजबूत करती है स्वर्ण भस्म।
 
मोती पिष्टी : मोती पिष्टी शीतल होती है और शरीर की दाह का शमन करती है। इसके सेवन से पित्त असंतुलन नियमित होता है और एसिडिटी, गैस्ट्राइटिस, अल्सर आदि विकारों में लाभकारी है। यह शरीर में केल्सियम की कमी को भी दूर करती है।
 
लौह भस्म : लोह भस्म आयरन की कमी को दूर करती है और शारीरिक कमजोरी को दूर कर अनीमिया दूर करने, थकान और शिथिलता को दूर करने, लिवर विकारों को दूर करने, पाचन को सुधारने में सहायक है। जीवन शक्ति का संचार करने, मानसिक दुर्बलता को दूर करने में लोह भस्म उपयोगी है। 

प्रवाल भस्म : प्रवाल भस्म की तासीर प्रवाल पिष्टी की तुलना में गर्म होती है। प्रवाल भस्म के सेवन से शरीर में केल्सियम की कमी दूर होती है और जोड़ों के दर्द में यह लाभकारी होती है। प्रवाल पिष्टी पित्त असंतुलन को दूर करती है और हड्डियों और दाँतों को मजबूत करती है। खून की कमी को दूर कर पाचन विकारों में लाभकारी है। 

अश्वगंधा : अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेद में अनेकों ओषधियों के निर्माण में किया जाता है। अश्वगंधा शारीरिक और मानसिक कमजोरी दूर करती है, यौन दुर्बलता को दूर करने में सहायक है। इसके अतिरिक्त ओज वृद्धि, जीवन शक्ति की वृद्धि, शुक्र वृद्धि, अधिवृक्क स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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