कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस हिंदी मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस हिंदी मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन की आस |
टेसू फूला दिवस दस, खंखर भया पलास ||
 
कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस हिंदी मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर दास जी के इस दोहे में वे हमें जीवन की अस्थायीता का संदेश दे रहे हैं। वे कहते हैं कि इस जीवन की आस में मत पड़ो, क्योंकि यह बहुत छोटा है। पलाश का फूल महज दस दिनों तक ही खिलता है, फिर वह झड़ जाता है और पेड़ खंखर बन जाता है। ठीक इसी तरह, मानव जीवन भी बहुत छोटा है। जवानी भी थोड़े ही समय तक रहती है, फिर बुढ़ापा आ जाता है और मृत्यु हो जाती है। कबीर दास जी हमें यह भी बता रहे हैं कि हमें अपने जीवन का सदुपयोग करना चाहिए। हमें अपने जीवन में कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमें और दूसरों को लाभ हो। हमें अपने जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।

इस दोहे का व्यावहारिक जीवन में भी बहुत महत्व है। जब हम जीवन की अस्थायीता को समझ जाते हैं, तो हम उसे अधिक गरिमामय और उपयोगी बनाने की कोशिश करते हैं। हम अपने जीवन में कुछ ऐसा करने की कोशिश करते हैं जिससे हमारा जीवन और दूसरों का जीवन बेहतर हो सके। इस दोहे में कबीर साहेब जीवन की नश्वरता पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि इस जवानी की आशा में पड़कर मद न करो। दस दिनों में फूलों से पलाश लद जाता है, फिर फूल झड़ जाने पर वह उखड़ जाता है, वैसे ही जवानी को समझो। इस प्रकार, इस दोहे में कबीर साहेब जीवन की नश्वरता पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि जीवन नश्वर है। इसलिए हमें इस जीवन की आशा में पड़कर मद नहीं करना चाहिए। यह दोहा हमें यह शिक्षा देता है कि हमें जीवन को सदुपयोग करना चाहिए। हमें जीवन का हर क्षण सुखपूर्वक बिताना चाहिए। हमें जीवन की नश्वरता को समझना चाहिए।
 

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