फुर्सत हो म्हारा सेठ सांवरिया घर निर्धन के आजा रे

फुर्सत हो म्हारा सेठ सांवरिया घर निर्धन के आजा रे


फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया
फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे,
मारे बणरी छाछ राबड़ी,
जीको भोग लगाजा रे।

अरे खाबा को मारे तेल नहीं है,
कीकर जोत जगाऊ मैं,
मैं बैठूं धरती पर साँवरा,
कीकर सेज सजाऊ मैं,
किरपा कर दो सेठ साँवरा,
सोया भाग जगाजा रे,
फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।

गणा गणा भगता ने तारया,
कीका नाम बताऊं मैं,
मारी वेल्या में कीकर रुस्या,
कीकर थाने मनाऊं मैं,
अर्जी सुण जो सेठ साँवरा,
दर्शन तो दिखलाजा रे,
फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।

थाके बणिया मेल मालिया,
टूटी झोपड़ी मारी रे,
गणि गरीबी देखी साँवरा,
दुखड़ा अब तो मिटाजा रे,
चरणा रो मने दास बना कर,
जिंदगी सफल बनाजा रे,
फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।

नोटा का भंडार भरिया है,
जगत सेठ जी बाजो थे,
मारी जिंदगी कटरी दुख में,
क्यों काया ने बालो थे,
एक नजर किरपा की कर दो,
किस्मत मारी चमकाजा रे,
फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे।

फुर्सत हो म्हारा सेठ साँवरिया,
घर निर्धन के आजा रे,
मारे बणरी छाछ राबड़ी,
जीको भोग लगाजा रे।


फुर्सत हो मारा सेठ सांवरिया घर निर्धन के आजा रे || Sawariya Seth New Bhajan || बबलु राजस्थानी

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