कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो जो सेत हिंदी मीनिंग Koyala Bhi Ho Ujala Meaning

कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो जो सेत हिंदी मीनिंग Koyala Bhi Ho Ujala Meaning : kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit

कोयला भी हो ऊजला, जरि बरि हो जो सेत |
मूरख होय न अजला, ज्यों कालम का खेत ||
 
Koyala Bhi Ho Ujala Jari Bari Ho Jo Set,
Murakh Hoy Na Ujala, Jyo Kalam Ka Khet.
 
कोयला भी हो ऊजला जरि बरि हो जो सेत हिंदी मीनिंग Koyala Bhi Ho Ujala Meaning : kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब का कथन है मूर्ख व्यक्ति में कोई सुधार नहीं होता है, जैसे बंजर भूमि में कोई पौधा/फसल पैदा नहीं होती है। कोयला भी जलकर सफ़ेद हो जाता है लेकिन मूर्ख व्यक्ति में कोई लाभ नहीं होने वाला नहीं है। आशय है की अति मूर्ख व्यक्ति भक्ति के महत्त्व को नहीं समझता है, वह सदा ही अपने मत पर अड़ा रहता है। उसे यदि कोई उपदेश देता है, ज्ञान की बात को समझाता है तो वह उसे नहीं मानता है और जड़ता पर अड़ा रहता है। अतः ऐसे व्यक्ति का त्याग करके साधक को स्वंय की भक्ति पर ध्यान देना चाहिए और वाद विवाद को छोड़ देना चाहिए। 

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