धरती गगन पवन नहीं होता नहीं तोया मीनिंग कबीर के दोहे

धरती गगन पवन नहीं होता नहीं तोया मीनिंग Dharati Gagan Pawan Nahi

 
धरती गगन पवन नहीं होता नहीं तोया मीनिंग Dharati Gagan Pawan Nahi Kabir Ke Dohe

धरती गगन पवन नहीं होता, नहीं तोया, नहीं तारा।
तब हरि हरि के जन होते, कहै कबीर बिचारा॥

Dharati Gagan Pawan Nahi Hota, Nahi Toya Nahi Tara,
Tab Hari Hari Ke Jan Hote, Kahe Kabir Bichara.


कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ / Kabir Doha Hindi Shabdaarth Meaning

  • धरती गगन पवन नहीं होता : धरती, आकाश, और हवा नहीं होने पर भी.
  • नहीं तोया : ना तो पानी.
  • नहीं तारा : नाहीं अग्नि/प्रकाश.
  • तब हरि हरि के जन होते-तब भी हरी के भक्त होंगे.
  • कहै कबीर बिचारा : कबीर साहेब विचार पूर्वक कहते हैं.


कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग - कबीर साहेब वाणी देते हैं की श्रष्टि नाशवान होती है, धरती, गगन, हवा, पानी और अग्नि तत्व के नहीं होने पर भी हरी भक्त होंगे, ऐसा कबीर साहेब विचार पूर्वक कहते हैं. दुसरे अर्थों में यह भी कहा जा सकता है की जब श्रष्टि पर पंचभूत तत्व नहीं थे, श्रष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी तब भी हरिजन रहे हैं. इश्वर सदा जगत में व्याप्त रहा है, सम्पूर्ण जगत ही इश्वर के द्वारा रचित है, ब्रह्माण्ड के कण कण में पूर्ण परम ब्रह्म ही व्याप्त है.

उल्लेखनीय है की माया के व्यवहार में पड़कर हम इश्वर को मंदिर मस्जिद, तीर्थ और कर्मकांडों में ढूंढते रहते हैं, क्योंकि माया को हम छोड़ना नहीं चाहते हैं. माया को साथ रखकर हम भक्ति को प्राप्त नहीं कर पाते हैं. इसलिए पंचभूतों का उदाहरण देकर साहेब ने स्पष्ट किया है की हर जगह इश्वर व्याप्त है, जिसे सहजता से ही प्राप्त किया जा सकता है. हृदय में इश्वर का वाश है केवल सत्य का प्रकाश उत्पन्न करने की देरी भर है. 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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