नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय हिंदी मीनिंग Nahi Sheetal Hai Chandrama Meaning

नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय हिंदी मीनिंग Nahi Sheetal Hai Chandrama Meaning

नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय ।
कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय ।
 
Nahi Sheetal Hai Chandrama, Him Nahi Sheetal Hoy,
Kabir Sheetal Sant Jan, Naam Sanehi Hoy.
 
नहीं शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय हिंदी मीनिंग Nahi Sheetal Hai Chandrama

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की चन्द्रमा भी इतना शीतलता नहीं देता है और हिम/बर्फ भी इतनी शीतलता नहीं देता है जितना की साधुजन के सानिध्य से प्राप्त होती है। संतजन बर्फ और चन्द्रमा से भी अधिक शीतल होते हैं। आशय है की संतजन विषय विकार से मुक्त होते हैं और उनके व्यवहार में स्थायित्व होता है। ऐसे में सज्जन पुरुष ही शीतलता देते हैं। इस दोहे में कबीर दास जी सज्जन पुरुषों के गुणों की प्रशंसा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं। पहले चरण में, कबीर दास जी कहते हैं कि "नहीं शीतल है चंद्रमा, हिम नहीं शीतल होय"। इसका अर्थ है कि चंद्रमा और हिमबर्फ भी उतने शीतल नहीं हैं जितना कि सज्जन पुरुष।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
+

एक टिप्पणी भेजें