प्यंजर प्रेम प्रकासिया अंतरि भया उजास मीनिंग
प्यंजर प्रेम प्रकासिया, अंतरि भया उजास।
मुख कसतूरी महमहीं, बांणीं फूटी बास॥
Pyanjar Prem Prakasiya, Antari Bhaya Ujaas,
Mukh Kasturi Mahmani, Baani Futi Baas.
कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ
- प्यंजर : पांच तत्वों का पिंजरा,
- प्रेम प्रकासिया : ज्ञान भक्ति उत्पन्न हुई.
- अंतरि: भीतर/हृदय.
- भया उजास : उजाला पैदा हुआ.
- मुख कसतूरी मुंह में कस्तूरी.
- महमहीं : सुगंध.
- बांणीं फूटी बास : वाणी से सुगंध फूट चुकी है.
कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग
कबीर साहेब की वाणी है की पांच तत्वों के इस पिंजरे में भक्ति का प्रकाश उत्पन्न हो गया है. साधक का मुख भी प्रेम से परिपूर्ण हो गया है. उसकी वाणी में भक्ति का रस परिपूर्ण हो गया है. वाणी से उसके भक्ति रस की धारा प्रवाहित हो रही है. भाव है की साधक पूर्ण रूप से भक्ति मय हो गया है। हृदय में प्रेम का, सत्य का प्रकाश उत्पन्न हो गया है। अब उसके चित्त में पूर्ण ब्रह्म का प्रकाश है।
ऐसी स्थिति में उसके हरेक कार्य में ईश्वर की महक है, पूर्ण रूप से एकाकार हो गया है। यह भक्ति की चरम अवस्था होती है, ऐसी स्थिति में समस्त सांसारिक कार्य, मान सम्मान, यश अपयश से वह दूर हो जाता है और इसी को कबीर साहेब ने अनेकों स्थान पर सहज कहा है। सहज से आशय यह नहीं है की कुछ किया ही ना जाए। चित्त में हरी के नाम का सुमिरण स्वतः ही चलने लगता है और यह अवस्था सहज होती है। अब तो साधक के हरेक कार्य से ईश्वर का ही रूप प्राप्त होता है। जब वह मुख खोलकर कुछ बोलता है तो वह भी प्रभु मय ही होता है।
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