साबुन बिचारा क्या करे, गाँठे वाखे मोय।
जल सो अरक्षा परस नहिं, क्यों कर ऊजल होय॥
जल सो अरक्षा परस नहिं, क्यों कर ऊजल होय॥
Sabun Bichara Kya Kare, Ganghi Vakhe Moy,
Jal So Araksha Paras Nahi, Kyo Kar Ujal Hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साबुन बेचारा क्या कर सकता है यदि उपयोग में ना लिया जाय, उसे गाँठ में बाँध लिया जाय। जब साबुन का जल से स्पर्श ही ना करवाया जाय तो कपड़ा कैसे उज्ज्वल हो सकता है। आशय है की ज्ञान रूपी साबुन तभी उपयोगी है जब उसे काम में लिया जाय, आचरण में उतारा जाय। संदेस है की गुरु के ज्ञान का महत्त्व तभी है जब उसे अपने आचरण में उतारा जाय। इस दोहे में ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। ज्ञान तो एक शक्तिशाली औषधि है, जो हमें अज्ञान के अंधेरे से बाहर निकालती है और जीवन का सही मार्ग दिखाती है। लेकिन ज्ञान का उपयोग करने के लिए हमें उसे समझना और उसका अभ्यास करना होगा।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |