पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण के फायदे उपयोग Shuddhi Churna Ke Fayde Upyog Kaise Len
बाबा रामदेव ने आयुर्वेद जगत में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने
आयुर्वेद के खजाने को सबके सामने खोलकर रख दिया है। बाबा रामदेव के अथक
प्रयास के कारण ही हम सब आयुर्वेद के प्रति इतने सजग और सक्रिय हुए हैं। अब
हम भी सभी आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में जान सकते हैं। इसी कड़ी में आज
हम पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण के बारे में जानेंगे। जो पाचन से संबंधित सभी
समस्याओं में बहुत ही कारगर है। यह क्रॉनिक कब्ज को दूर कर पाचन प्रणाली
दुरुस्त करता है। पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण गैस, अजीर्ण, खट्टी डकार और
क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन में बहुत ही लाभकारी होता है।
पतंजलि शुद्धि चूर्ण के फायदे Benefits of Divya Shuddhi Churna in Hindi
पतंजलि
शुद्धि चूर्ण पाचन तंत्र के लिए एक वरदान है। यह पाचन तंत्र से संबंधित
लगभग सभी समस्याओं से निजात दिलाने में बहुत ही कारगर है। यह गैस, कब्ज,
अपच, खट्टी डकारें, सीने में जलन, पेट में जलन, बवासीर आदि सभी समस्याओं
में राहत पहुंचाता है। आईए अब जान लेते हैं पतंजलि शुद्धि चूर्ण के सेवन से
होने वाले फायदे
पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण अपच को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- पतंजलि शुद्धि चूर्ण कब्ज में राहत प्रदान करता है।
- पतंजलि शुद्धि चूर्ण का सेवन करने से गैस एवं खट्टी डकारें जैसी समस्या में राहत मिलती है।
- एसिडिटी को दूर करने में भी पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण बहुत ही सहायक है।
- पेट फूलना और बदहजमी जैसी समस्या में भी पतंजलि शुद्धि चूर्ण बहुत ही बेनिफिशियल है।
- पतंजलि शुद्धि चूर्ण क्रॉनिक constipation को दूर करता है। पाचन क्रिया को दुरुस्त बनता है।
- पतंजलि शुद्धि चूर्ण के सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है।
- एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होने के कारण यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है।
- इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व पाचन की क्रिया को मजबूत बनाते हैं।
- यह खांसी और कफ का भी नाश करता है।
- लिवर को मजबूत बनाता है।
- पाचन तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने में सक्षम बनाता है।
- यह चूर्ण एंटी बैक्ट्रियल होता है।
- और शरीर की हीलिंग पावर को बढ़ता है।
- यह आँतों की Deep cleaning करता है।
- जिससे पेट से जुड़े मुंह के विकारों में भी आराम मिलता है।
- इसके उपयोग से मुँह का इन्फेक्शन और छाले भी दूर होते हैं
- यह चूर्ण बलवर्धक और जीवनदायक होता है।
- यह हृदय रोग और पित्तदाह को दूर करने में भी सहायक होता है।
- इसमें मिलाई गयी सभी सामग्री आयुर्वेदिक हर्ब है। जो कब्ज से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करने में असरदार होने के साथ ही आँतों की सफाई में भी सहायक होती है।
यदि आप गहराई से
देखेंगे तो पायेंगे की लगभग सभी रोगों में कहीं ना कहीं कमजोर पाचन
जिम्मेदार होता है। यदि आप अपने पाचन को दुरुस्त कर लेते हैं तो समझिये की
आपने कई बीमारियाँ तो स्वतः ही ठीक कर ली हैं।
पतंजलि शुद्धि चूर्ण किन औषधियों को मिलाकर बनाया गया है।
पतंजलि शुद्धि चूर्ण के घटक Composition of Divya Shuddhi Churna
- हरड़ (Terminalia Chebula)
- बहेड़ा (Terminalia Belerica)
- भूमि आवला (Phyllanthus Niruri)
- टंकण भस्म (Sodii Biborus)
- जीरा (Cuminum Cyminum)
- हींग (Ferula Narthex)
- इन्द्रायण (Citrulus Colocynthis)
इस चूर्ण में इन्द्रायण का उपयोग इसे अधिक कारगर बनाता हैं। अब हम इसकी घटक सामग्री के बारे में विस्तार से जानते हैं। सबसे पहले हम घटक सामग्री हरड़ के बारे में जानेंगे।
हरड़
- हरड़ को आयुर्वेद में अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित समस्याओं जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर और दस्त में ये असरदायक होता है। हरड़ में विटामिन C होता है। चरक संहिता में भी हरड़ के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है। हरड़ की तासीर गर्म होती है।
- यह विशेष रूप से विष को नष्ट करने की क्षमता रखती है। इसलिए वैद्य इसे अमृत मानते हैं और अपने उपचारों में इसका उपयोग करते हैं।
- इसे खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और यह मल मूत्र विसर्जन में भी सहायक है।
भरड़
- भरड़ पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में भी सहायक है।
- भरड़ एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता है।
- यह अमाशय को शक्तिशाली बनाता है।
- और पित्त से संबंधित दोषों को दूर करता है।
- क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- भरड़ में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट जो बहुत लाभदायक होते हैं।
- इसमें दीपन गुण होता है जिससे पाचन दुरुस्त होता है।
भूमि आंवला
- यह शरीर से विषाक्त और विजातीय प्रदार्थों को बाहर निकालता है।
- यह खांसी और कफ का भी नाश करता है।
- साथ ही लिवर को भी मजबूत बनाता है।
- भूमि आंवला के उपयोग से मुँह का इन्फेक्शन और छाले भी दूर होते हैं।
- यह एंटी बैक्ट्रियल होता है।
- शरीर की हीलिंग पावर को बढ़ता है।
- यह आँतों की सफाई करता है।
- जिससे पेट से जुड़े मुंह के विकारों में आराम मिलता है।
- चरक संहिता में बताया गया है कि भूमि आंवला पाचन और दीपन के लिए उपयोगी होता है।
- यह बलवर्धक और जीवनदायक होता है।
- यह हृदय के रोग और पित्तदाह को दूर करता है।
- भूमि आंवला तिक्त, कषाय व श्लेष्म गुणों से युक्त होता है जो इसे पाचन तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने में सक्षम बनाते हैं।
जीरा
- जीरा में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं।
- जीरे में पाए जाने वाले कई गुण पाचन तंत्र को सुधारते हैं।
- जीरे में थायमाल जैसे ऑयल होते हैं।
- जो सेलिवरी ग्लेंड्स को उत्तेजित कर पाचन तंत्र में सहयोग करते हैं।
- जीरे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व पाचन की क्रिया को मजबूत बनाते हैं।
- आप जीरे की चाय का सेवन भी कर सकते हैं
टंकण भस्म
- टंकण भस्म बोरेक्स (Borax) से तैयार एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है।
- टंकण भस्म का उपयोग वैसे तो कई विकारों को दूर करने में किया जाता है।
- लेकिन इस चूर्ण में इसे वात नाशक गुणों के लिए काम में लिया जाता है।
- यह पुराने से पुराने कब्ज को भी समाप्त करता है।
- यह लिवर से सबंधित विकारों और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।
- यह वात और कफ को शांत करता है।
- टंकण भस्म पाचक, एंटी इंफ्लामेन्ट्री, और संकोचक होती है।
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हींग
- हींग गैस दूर करती है।
- पाचन में सहायक होती है।
- हींग पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
- इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन जैसे विटामिंस और मिनरल्स होते हैं।
- हींग का उपयोग कब्ज दूर करने, गैस को दूर करने के लिए किया है।
- इसके अलावा हींग से बदन दर्द और दांत दर्द में भी राहत मिलती है।
इन्द्रायण
- इन्द्रायण को गड़तुम्बा भी कहा जाता है।
- वैसे तो इन्द्रायण के उपयोग शुगर, बवासीर, त्वचा विकारों को दूर करने, सूजन दूर करने, आँतों के कीड़े मारने, आदि में किया जाता है।
- लेकिन इस चूर्ण में इसका उपयोग कब्ज को दूर करने, और लिवर के विकार को दूर करने के लिए किया जाता है। इंदरायण कफ और पित्त विनाशक, वात रोगों में उपयोगी है। प्लीहा और उदर रोगों में बहुत लाभदायी होता है।
- इस फल के गूदे को सुखाकर उसका औषधीय उपयोग किया जाता है।
- शुष्रुत संहिता के अनुसार इन्द्रायण पंचामृत के समान है जो सभी रोगों को ठीक कर शरीर को स्वस्थ रखता है।
- चरक संहिता में भी इन्द्रायण को समस्त महारोगों को दूर करने में उपयोगी माना गया है।
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शुद्धि चूर्ण और त्रिफला चूर्ण में बेहतर कौन है
शुद्धि चूर्ण त्रिफला चूर्ण की तरह ही कब्ज, गैस, आफरा, एसिडिटी आदि विकारों को दूर करता है। लेकिन शुद्धि चूर्ण को त्रिफला चूर्ण से अलग बनाते हैं टंकण भस्म और इन्द्रायण। और ये दोनों ओषधियां ही क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन को दूर करने के लिए उपयोग में ली जाती है। त्रिफला चूर्ण को आप नियमित रूप से ले सकते हैं। लेकिन शुद्धि चूर्ण को नियमित नहीं लेना चाहिए। चिकित्सक के परामर्श के उपरांत ही इसका सेवन किया जाना चाहिए।
- यदि आप गैस की समस्या से ग्रसित हैं तो गैस हर चूर्ण का उपयोग भी लाभदायक होता है।
- पतंजलि शुद्धि चूर्ण क्रोनिक constipation के लिए एक उपयोगी ओषधि है।
- इसका सेवन शुरू करते ही आपकी कब्ज की समस्या दूर होने लगती है।
- और पाचन तंत्र को दुरुस्त होकर सुचारू रूप से कार्य सम्पन्न करने लगता है।
शुद्धि चूर्ण का सेवन कैसे करे
सामान्यतया क्रोनिक constipation में भोजन के एक घंटे बाद आधा चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ लिया जाता है।
आप इसे चिकित्सक के परामर्श के पश्चात रात के भोजन के एक घंटे बाद वैद्य द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार गर्म पानी के साथ लें।
पतंजलि शुद्धि चूर्ण के सेवन से होने वाले नुकसान
- पतंजली शुद्धि चूर्ण के सेवन से वैसे तो कोई नुकसान नहीं होता हैं।
- लेकिन सभी व्यक्तियों का कब्ज विकार एक समान नहीं होता है।
- इसलिए यदि आप कब्ज से पीड़ित हैं और अन्य किसी भी विकार का इलाज करवा रहें हो तो इसे स्वंय के हिसाब से सेवन नहीं करें।
- इसके लिए आप वैद्य से परामर्श अवश्य कर लें।
- क्योंकि किसी भी व्यक्ति के रोग के प्रकार और जटिलता, शरीर की आयु और तासीर, और परिस्थियों के मुताबिक़ ओषधि या ओषधियों का योग दिया जाता है।
- आप अपने नित्य जीवन में स्वस्थ आदतों को शामिल करें और दवाओं के इस्तेमाल से बचे।
कब्ज को दूर करने के अन्य घरेलू उपाय
- कब्ज को दूर करने के लिए आप मात्र इस चूर्ण पर ही निर्भर ना रहें।
- स्वस्थ जीवन शैली को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
- ताजा हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन बढाएं और सुबह शाम थोडा बहुत टहले और शारीरिक मेहनत करें।
- ताम्बे के पात्र में रखे जल का सेवन करे और अपने भोजन में फाइबर वाले खाद्य प्रदार्थों को शामिल करें।
- अवश्य ही आपको कब्ज से छुटकारा मिलेगा क्योंकि यदि पाचन तंत्र स्वस्थ है तो बाकी रोग भी दूर ही रहते हैं।
- बेहतर पाचन के लिए हमें फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
- आप अपने भोजन में चोकरयुक्त आटे का उपयोग करें।
- भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग करें और सलाद, ताजे फलों का सेवन भी नियमित रूप से करें।
- हाइड्रेड रहने के लिए उचित मात्रा में पानी का सेवन करें।
- पानी से शरीर हाइड्रेड बना रहता है और कब्ज भी दूर रहती है।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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