दुई जगदीस कहाँ ते आया हिंदी मीनिंग Dui Jagdish Kaha Se Aaya Meaning

दुई जगदीस कहाँ ते आया हिंदी मीनिंग Dui Jagdish Kaha Se Aaya Meaning : Kabir Ke Pad Hindi Arth/Bhavarth Sahit

दुई जगदीस कहाँ ते आया, कहु कवने भरमाया।
अल्लह राम करीमा केसो, हजरत नाम धराया॥
गहना एक कनक तें गढ़ना, इनि महँ भाव न दूजा।
कहन सुनन को दुर करि पापिन, इक निमाज इक पूजा॥
वही महादेव वही महंमद, ब्रह्मा−आदम कहिये।
को हिन्दू को तुरुक कहावै, एक जिमीं पर रहिये॥
बेद कितेब पढ़े वे कुतुबा, वे मोंलना वे पाँडे।
बेगरि बेगरि नाम धराये, एक मटिया के भाँडे॥
कहँहि कबीर वे दूनौं भूले, रामहिं किनहुँ न पाया।
वे खस्सी वे गाय कटावैं, बादहिं जन्म गँवाया॥
 

कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की दो ईश्वर कैसे सत्ता में आ सकते हैं ? तुम कहो की तुमको किसने भरमाया है , किसने तुमको भ्रमित किया है। अल्लाह और राम करीम कैसे अलग अलग हो सकते हैं। एक ही सोने से तमाम तरह के आभूषण बनाये जाते हैं उनके नाम अलग अलग हो सकते हैं लेकिन महत्त्व सम भाव का है। नमाज और पूजा दोनों एक ही हैं, सब कहने और सुनने की बात हैं। वही महादेव हैं और वही मोहम्मद भी हैं। कोई हिन्दू है कोई मुसलमान है लेकिन दोनों एक ही हैं। एक वेद पढता है और दूसरा खुतबा। एक मौलाना है और एक पंडित दोनों एक ही हैं। एक मिटटी से अलग अलग तरह के बर्तन बन जाते हैं। नाम अलग अलग हैं लेकिन पात्र तो एक ही हैं। कबीर साहेब कहते हैं की दोनों ही अपने उद्देश्य से भटक गए हैं। राम या खुदा को किसी ने नहीं पाया है। एक बकरा काटता है वहीँ दुसरा गाय की जिबह/बलि देता है। इसी झगड़े में वे अपने अमूल्य मानव जीवन का अंत कर लेते हैं। 


आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url