इस घट अंतर बाग़-बग़ीचे मीनिंग Is Ghat Antar Baag Bagiche Meaning

इस घट अंतर बाग़-बग़ीचे मीनिंग Is Ghat Antar Baag Bagiche Meaning : kabir Ke Pad Hindi Arth/Bhavarth Sahit

इस घट अंतर बाग़-बग़ीचे, इसी में सिरजनहारा।
इस घट अंतर सात समुंदर, इसी में नौ लख तारा।
इस घट अंतर पारस मोती, इसी में परखन हारा।
इस घट अंतर अनहद गरजै, इसी में उठत फुहारा।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, इसी में साँई हमारा॥
 
इस घट अंतर बाग़-बग़ीचे मीनिंग

कबीर साहेब कहते हैं की जीवात्मा के हृदय में / घट में कई बाग़ बगीचे खिले हुए हैं, इन हृदय के बाग़ बगीचों में ही ईश्वर का वास है। जीवात्मा के हृदय में ही सातों भाँती के समुद्र/सागर हैं और इसमें ही नौ लाख/असंख्य तारे हैं। हृदय में ही पारस और मोती हैं और इसी में ही परखने वाले भी हैं। हृदय में / घट में अनहद नाद गूँज रहा है। कबीर साहेब कहते हैं की इसी घट में मेरा स्वामी है। कबीर इस पद में कहते हैं कि ईश्वर इस संसार में सर्वव्यापी है। वह प्रत्येक व्यक्ति के अंदर मौजूद है। इसी घट में, अर्थात्, प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में, बाग़-बग़ीचे हैं, अर्थात्, सुंदरता और आनंद है। इसी घट में सृष्टिकर्ता है, अर्थात्, ईश्वर है। इसी घट में सात समुद्र हैं, अर्थात्, सात लोक हैं। इसी घट में नौ लाख तारे हैं, अर्थात्, नौ देवता हैं। इसी घट में पारस और मोती हैं, अर्थात्, सत्य और ज्ञान हैं। इसी घट में परखने वाले हैं, अर्थात्, मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार फल भोगता है। इसी घट में अनाहत नाद गूँज रहा है, अर्थात्, ईश्वर का अद्भुत संगीत बज रहा है। इसी घट में फुहारें फूट रही हैं, अर्थात्, ईश्वर का प्रेम उमड़ रहा है।

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