कबीर सो धन संचिए जो आगै कूँ होइ मीनिंग Kabir So Dhan Sanchiye Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)
कबीर सो धन संचिए, जो आगै कूँ होइ।सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥
Kabir So Dhan Sanchiye, Jo Aage Ku Hoi,
Seesh Chadhaae Potali, Le Jaat Na Dekhya Koi.
कबीर सो धन संचिए : कबीर साहेब कहते हैं की ऐसे धन का संचय करना चाहिए, जो आगे काम आये. आगे से आशय जीवन मुक्ति से है.
जो आगै कूँ होइ : जो आगे का है, जीवन मुक्ति का आधार राम नाम रूपी धन होता है.
सीस चढ़ाए पोटली : सर पर पोटली को रखकर.
ले जात न देख्या कोइ : मरने के उपरान्त अपने साथ लेकर जाता हुआ किसी ने नहीं देखा है.
जो आगै कूँ होइ : जो आगे का है, जीवन मुक्ति का आधार राम नाम रूपी धन होता है.
सीस चढ़ाए पोटली : सर पर पोटली को रखकर.
ले जात न देख्या कोइ : मरने के उपरान्त अपने साथ लेकर जाता हुआ किसी ने नहीं देखा है.
कबीर साहेब की वाणी है की जगत में व्याप्त भौतिक माया किसी काम की नहीं है. यह माया किसी काम में आने वाली नहीं है. अतः उस धन का संचय करना चाहिए जो आगे का हो. आगे के धन से आशय है जो मुक्ति में सहयोगी हो. अपने सर पर पोटली को बाँध कर अपने साथ ले जाते हुए किसी ने नहीं देखा है. भाव है की हमें ऐसे धन का संचय नहीं करना चाहिए जो भौतिक है, वह इस जगत में ही रह जाना है, साथ नहीं जाने वाला है. अपने सर पर पोटली बाँध कर कोई नहीं ले जाता है. केवल राम नाम का धन ही हमारे साथ जाने वाला है, बाकी सब व्यर्थ है.
प्रस्तुत साखी में विशेष है की-
-माया एक भ्रम जाल है जो जीवात्मा को अपने जाल में फँसाती है.
-माया का संग्रह कभी नहीं करना चाहिए.
-कोई भी माया को अपने साथ नहीं लेकर जाता है.
-राम नाम रूपी धन का संचय करना चाहिए, जो व्यक्ति के आगे (मरने के उपरान्त) काम में आता है.
प्रस्तुत साखी में विशेष है की-
-माया एक भ्रम जाल है जो जीवात्मा को अपने जाल में फँसाती है.
-माया का संग्रह कभी नहीं करना चाहिए.
-कोई भी माया को अपने साथ नहीं लेकर जाता है.
-राम नाम रूपी धन का संचय करना चाहिए, जो व्यक्ति के आगे (मरने के उपरान्त) काम में आता है.
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग