रामहिं थोड़ा जाँणि करि मीनिंग Ramahi Thoda Jani Kari Meaning Kabir Dohe

रामहिं थोड़ा जाँणि करि मीनिंग Ramahi Thoda Jani Kari Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)

रामहिं थोड़ा जाँणि करि, दुनियाँ आगैं दीन।
जीवाँ कौ राजा कहै, माया के आधीन॥
Ramahi Thoda Jaani Kari, Duniya Aage Deen,
Jeeva Ko Raja Kahe, Maaya Ke Aadheen.

रामहिं थोड़ा जाँणि करि : जीवात्मा राम के विषय में बहुत ही कम जानती है.
दुनियाँ आगैं दीन : वह स्वंय को बहुत ही दीन समझता है.
जीवाँ कौ राजा कहै : अन्य जीव को राजा कहता है.
माया के आधीन : जो माया के अधीन हैं.
रामहिं : राम को, इश्वर को.
थोड़ा : कम, अल्प.
जाँणि करि : जान कर.
दुनियाँ : संसार.
आगैं : के समक्ष.
दीन : दयनीय कमजोर.
जीवाँ : अन्य जीव को.
कौ : को.
राजा कहै : राजा कहता है.
माया : तृष्णा, मोह माया.
के आधीन : परतंत्रता.
कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा इश्वर के बारे में बहुत ही अल्प जानता है, उसका ज्ञान अधुरा होता है, इसलिए वह दुनियाँ के आगे स्वंय को दीन समझता है. अतः राम नाम की महत्ता को समझना आवश्यक है. अन्य जीव को स्वंय ही माया के प्रभाव में लिप्त हैं उनके आगे झुकने से और उन्हें राजा समझने से क्या फायदा होने वाला है. माया के अधीन व्यक्ति कभी राजा नहीं हो सकते हैं. पूर्ण परम ब्रह्म ही इस जगत का सच्चा स्वामी है.
अतः इस साखी का मूल भाव है की व्यक्ति को अन्य जीवों के समक्ष झुकना बंद कर देना चाहिए और इश्वर के समक्ष अपने सर को झुकाना चाहिए. संसार के अन्य सभी व्यक्ति और जीव हमारे स्वामी नहीं हो सकते हैं क्योंकि वे स्वंय ही माया के दलदल में उलझे पड़े रहते हैं.
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