कबीरा माला मनहि की, और संसारी भीख।
माला फेरे हरि मिले, गले रहट के देख॥
Kabira Mala Manahi Ki Aur Sansari Bheekh,
Mala Phere Hari Mile, Gale Rahat Ke Dekh.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीरदास जी इस दोहे में कहते हैं की माला तो मन की ही वास्तविक होती है। बाकी सब संसारी /दिखावटी होती है। हाथों में माला फिराने से हम भक्ति का दिखावा ही करते हैं। मन की माला फिराने से ही भक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। कबीर दास जी कहते हैं कि भीख मांगना सबसे बुरी चीज है। भीख मांगने से हमें कुछ भी नहीं मिलता है। बल्कि इससे हमारा मन और भी मलिन होता जाता है। कबीर दास जी कहते हैं कि अगर हम अपने मन को शांत करके भगवान का ध्यान करते हैं, तो हमें भगवान की प्राप्ति हो सकती है।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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