मन जाणे सब बात जाणत ही औगुण करै हिंदी मीनिंग

मन जाणे सब बात जाणत ही औगुण करै हिंदी मीनिंग Man Jane Sab Baat Meaning : kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth

मन जाणे सब बात, जाणत ही औगुण करै।
काहे की कुसलात कर दीपक कूंवै पड़े।
 
Man Jane Sab Baat, Janat Hi Ougun Kare,
Kahe Ki Kulsat Kar, Deepak Kuve Pade.
 
मन जाणे सब बात, जाणत ही औगुण करै
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

सत कबीर साहेब की वाणी है की व्यक्ति का मन सभी बातों को जानता है। वह जानता है की किसमें भलाई है और किसमें बुराई है। अच्छा बुरा वह जानता है। वह जानता है की व्यक्ति क्या अवगुण/बुरा कर्म कर रहा है। कबीर साहेब सन्देश देते हैं की यह तो ऐसे ही हुआ जैसे की कोई अपने हाथ में दीपक लेकर कुए में गिर जाए। ऐसे में कैसे कुशल हो सकती है। अतः इस दोहे का मूल भाव है की हमें अपने हृदय की बात को सुनना चाहिए और बुराई से दूर रहना चाहिए। इस दोहे में संत कबीरदास जी ने मनुष्य के दोहरे स्वभाव पर व्यंग्य किया है। मनुष्य को हमेशा से ही सही तथा गलत हर चीज की जानकारी होती है। फिर भी कुछ लोग गलत रास्ते पर चले जाते हैं। ऐसे लोगों के गुणों को कैसे तोला जा सकता है? 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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