
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
कबीर साहेब के इस दोहे का मूल सन्देश है की मैंने परमात्मा को जान लिया है। एक सभी में है। एक ही परमात्मा मुझे सभी में दिखाई देता है। मेरा सभी में है और सब मुझ में है। इसमें दूसरा कोई नहीं है। आशय है की ईश्वर सम्पूर्ण संसार में व्याप्त है। इस दोहे में कबीर हमें बता रहे हैं कि जब मनुष्य को परमात्मा का दर्शन हो जाता है, तो वह सबमें एक ही परमात्मा को देखता है। कबीर कहते हैं कि जब मनुष्य का मन परमात्मा से लग जाता है, तो वह सबमें एक ही हो जाता है। बाहर और भीतर का भेद मिट जाता है। कबीर कहते हैं कि जो परमात्मा सबमें व्याप्त है, वही एक परमात्मा है। वह परमात्मा मनुष्य में भी व्याप्त है। इसलिए, मनुष्य और पूरा संसार भी एक ही हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |