निरबैरी निहकामता साईं सेती नेह हिंदी मीनिंग Nirberi Nihkamata Sai Seti Neh Meaning : Kabir Ke
निरबैरी निहकामता, साईं सेती नेह ।विषिया सूं न्यारा रहै, संतनि का अंग एह ॥
Nirberi Nihkamata, Sai Seti Neh,
Vishiya Su Nyara Rahe, Santani Ka Ang Eh.
संतजन और साधुजन के लक्षण बताते हुए कबीर साहेब सन्देश देते हैं की संत संत किसी से भी शत्रुता का भाव नहीं रखते हैं और उन्हें किसी से बैरभाव नहीं होता है, इनका सम्पूर्ण प्रेम भाव ईश्वर से ही होता है। संतजन विषय वासनाओं में दूर होते हैं लिप्त नहीं होते हैं।
Kabir Sahib conveys the message while describing the characteristics of saints and noble souls that saints harbor no enmity towards anyone and hold no grudges. Their love is entirely directed towards the Divine. They remain detached from worldly desires and are not entangled in them.
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