कबीर यह संसार है जैसा सेमल फूल हिंदी मीनिंग Kabir Yah Sansar Hai Meaning

कबीर यह संसार है जैसा सेमल फूल हिंदी मीनिंग Kabir Yah Sansar Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कबीर यह संसार है, जैसा सेमल फूल |
दिन दस के व्येवहार में, झूठे रंग न भूले ||

Kabir Yah Sansar Hai, Jaisa Semal Phool,
Din Das Ke Vyavhar Me, Jhuthe Rang Na Bhule

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब की वाणी है की यह यह जीवन सदा के लिए नहीं है, क्षणिक है इसलिए हमें अपना पूर्ण ध्यान भक्ति में लगाना चाहिए. जैसे सेमल का फूल अल्प समय के लिए खिलता है और तुरंत ही मुरझा जाता है, वैसे ही यह मानव का जीवन अल्पकालिक होता है. एक दिन सभी मृत्यु को प्राप्त होने वाले हैं, इसलिए हमें अपना पूर्ण समय भक्ति में लगाना चाहिए.
संसार का रंग, मायाजनित व्यवहार सब झूठा है, अतः हमें इसके दिखावे में नहीं आना चाहिए और इश्वर से विमुख नहीं होना चाहिए. इस दोहे में कबीर दास जी हमें संसार के मायाजाल से सावधान कर रहे हैं। मानव जीवन सेमल के फूल के समान है, जो देखने में बहुत सुंदर है, लेकिन वह अल्प समय के लिए ही होता है, स्थाई नहीं होता है, शीघ्र ही नष्ट हो जाना है। इसी तरह, संसार की सभी सुख-सुविधाएँ, धन-दौलत, पद-प्रतिष्ठा आदि भी केवल दिखावा हैं और क्षणिक होती हैं। ये सब कुछ क्षणभंगुर हैं और अंततः नष्ट हो जाएँगे अतः इश्वर के नाम का सुमिरन ही मुक्ति का आधार है.

कबीर यह संसार है जैसा सेमल फूल हिंदी मीनिंग Kabir Yah Sansar Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit


व्याख्या
"यह संसार है, जैसा सेमल फूल" - सेमल का फूल बहुत सुंदर होता है, लेकिन वह क्षणिक होता है। ऐसे ही इस संसार की सुंदरता और आकर्षण भी अस्थायी है। यह सब माया है, जो हमें भ्रम में डालती है। "दिन दस के व्येवहार में" - जीवन बहुत छोटा है। यह केवल दस दिनों का व्यवहार है। इन दस दिनों में हम सांसारिक मोहमाया में फंसकर अपना वास्तविक स्वरूप भूल जाते हैं। "झूठे रंग न भूले" - हमें सांसारिक मोहमाया में फंसकर झूठे रंगों में रंगना नहीं चाहिए। हमें अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानना चाहिए और अपने मूल लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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