दुखिया मूवा दुख कौं सुखिया सुख कौं झुरि मीनिंग Dukhiya Muva Dukh Ko Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit
दुखिया मूवा दुख कौं, सुखिया सुख कौं झुरि।सदा अनंदी राम के, जिनि सुख दुख मेल्हे दूरि॥
Dukhiya Muva Dukh Ko, Sukhiya Sukh Ko Jhuri,
Sada Aanandi Ram Ke, Jini Sukh Dukh Melhe Duri.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की दुखी व्यक्ति अपने दुःख के कारण अधिक दुखी रहता है और सुखी व्यक्ति अधिक सुख की चाहना में दुखी रहता है। ऐसे में एक राम भक्त ही ऐसा होता है जो सभी दुखों और द्वन्द का त्याग करके सदा ही खुश रहता है।
In this Doha, Kabir Sahib conveys the message that a sorrowful person remains more sorrowful because of their attachment to their sorrow, while a joyful person remains sorrowful due to their craving for more joy. In such a scenario, only a devotee of Ram is one who, by renouncing all sorrows and dualities, always remains content.
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