पुरपाटण सुवस बसा आनन्द ठांयैं ठांइ हिंदी मीनिंग
पुरपाटण सुवस बसा, आनन्द ठांयैं ठांइ।
राम-सनेही बाहिरा, उलजंड़ मेरे भाइ॥
Purpatan Suvas Basa, Aanand Thaye Thai,
Ram Sanehi Bahira, Uljad Mere Bhai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग अर्थ/भावार्थ
जिस स्थान, जिस नगर में ईश्वर के प्रेम रस का वास नहीं है, जहाँ पर ईश्वर के स्नेही बसते नहीं है वहां पर वह नगर/शहर वीरान ही होता है। उसे उजाड़ ही समझो यद्यपि उसे सजाया गया है, जगह जगह पर उत्सव हो रहा है।
Kabir Sahib conveys that a place or a city where the essence of Divine love does not dwell, where the beloved of the Divine do not reside, such a place becomes desolate. Consider it barren even if it has been adorned and festivity is being celebrated here and there.आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
|
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
|