पुरपाटण सुवस बसा आनन्द ठांयैं ठांइ हिंदी मीनिंग Purpatan Suvas Basa Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
पुरपाटण सुवस बसा, आनन्द ठांयैं ठांइ।राम-सनेही बाहिरा, उलजंड़ मेरे भाइ॥
Purpatan Suvas Basa, Aanand Thaye Thai,
Ram Sanehi Bahira, Uljad Mere Bhai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जिस स्थान, जिस नगर में ईश्वर के प्रेम रस का वास नहीं है, जहाँ पर ईश्वर के स्नेही बसते नहीं है वहां पर वह नगर/शहर वीरान ही होता है। उसे उजाड़ ही समझो यद्यपि उसे सजाया गया है, जगह जगह पर उत्सव हो रहा है।
Kabir Sahib conveys that a place or a city where the essence of Divine love does not dwell, where the beloved of the Divine do not reside, such a place becomes desolate. Consider it barren even if it has been adorned and festivity is being celebrated here and there.
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